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देश के गृह मंत्री अमित शाह ने आखिरी यह बयान क्यों दिया?

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पिछले दिनों देश के गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने एक इंटरव्यू दिया जिसे सभी न्यूज़ चैनलों ने लाइव चलाया. अमित शाह ने इस इंटरव्यू में देश से जुड़े हर मुद्दे पर अपनी सहूलियत के हिसाब से राय व्यक्त की. गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए इस इंटरव्यू की चर्चा सोशल मीडिया पर काफी हो रही है. क्योंकि अमित शाह ने इस इंटरव्यू में कई ऐसी बातें कही जिस पर कई तरह के प्रश्न उठाए जा रहे हैं.
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए कई बयानों को सोशल मीडिया पर गैर जिम्मेदाराना बताया जा रहा है. गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कहा गया कि जो व्यक्ति शिक्षित नहीं होते हैं वह देश पर बोझ होते हैं. अमित शाह के कहने का तात्पर्य तो यही है कि अनपढ़ व्यक्ति देश पर बोझ के समान है, वह देश की तरक्की में कोई योगदान नहीं देता है.
अमित शाह के बयान के मायने निकाले जाएं तो उन्होंने देश की उस लाखों आबादी पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया जो किसी ना किसी मजबूरी के कारण शिक्षित नहीं है या फिर शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते हैं. लेकिन क्या सच में अनपढ़ या फिर जिन्होंने शिक्षा ग्रहण नहीं किया है वह देश पर बोझ हैं या फिर देश की तरक्की में अपना योगदान नहीं दे रहे हैं?
इस देश की लाखों फैक्ट्रियों में मजदूर वर्ग काम करता है जिसकी संख्या बहुत अधिक है जो शिक्षित नहीं है लेकिन अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए दो वक्त की रोटी के लिए शिक्षा से वंचित रहने के बावजूद अपने श्रम के बल पर पूरी इमानदारी से काम कर रहे हैं. जो लोग शिक्षा से वंचित रहने के बावजूद फैक्ट्रियों में काम करते हैं, क्या वह किसी माध्यम से भी देश की तरक्की में योगदान नहीं दे रहे हैं?
उनके श्रम का लाभ उन फैक्ट्रियों (factories) को नहीं मिल रहा है और उन फैक्ट्रियों के माध्यम से देश की तरक्की में योगदान नहीं दिया जा रहा है? जो वर्ग शिक्षा से वंचित है वह वर्ग किसी न किसी माध्यम से अपने परिश्रम के दम पर मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहा है और अगर कहीं वह मेहनत करता है तो उसका लाभ उस फैक्ट्री को, उस कंपनी को या फिर जहां भी वह काम कर रहा है उसके माध्यम से सरकार को जरूर होता है, देश को जरूर होता है.
अगर एक छोटा सा उदाहरण ले, कहीं पर कोई घर बन रहा है या फिर कहीं पर कोई बिल्डिंग बन रही है, वहां पर मजदूर वर्ग की जरूरत होती है. वह मेहनत मजदूरी करके उस बिल्डिंग को, उस घर को खड़ा करने में अपना योगदान देते हैं. जिससे उन्हें भी पैसे मिलते हैं और वह उस पैसे से बाजार से सामान भी खरीदते हैं. तो क्या देश की इकोनॉमी में इस शिक्षा से वंचित रह गए वर्ग का योगदान नहीं है? ऐसा देश के गृहमंत्री अमित शाह कहना चाहते हैं?
क्या देश के गृह मंत्री द्वारा शिक्षा से वंचित रह गए उस वर्ग का अपमान नहीं किया गया, जो मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट भी पाल रहे हैं और किसी ना किसी रूप में अपना योगदान इस देश की इकोनॉमी में भी दे रहे हैं? अगर बात शिक्षा की ही की जाए तो बीजेपी की राज्य सरकारों में और केंद्र की सरकार में भी कई ऐसे मंत्री और नेता हैं जिन्होंने या तो शिक्षा भी ग्रहण नहीं की है या फिर उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं की है, फिर उनके बारे में क्या राय है मौजूदा गृहमंत्री की?
देश के मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी ने ही अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने कोई पढ़ाई वढ़ाई नहीं की है, शुरुआती शिक्षा के बाद वह घर से निकल गए थे. तो क्या देश के गृह मंत्री अमित शाह मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहे हैं? सच्चाई यही है कि देश का जो वर्ग शिक्षा से वंचित रह गया है वह वर्ग भी कहीं ना कहीं इस देश की तरक्की में अपना योगदान दे रहा है. बस उस वर्ग की कद्र नहीं की जा रही है.
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