कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने आजादी को लेकर एक निंदनीय बयान दिया है. जिस तरीके से पिछले 7 साल में लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है और किसी भी मुद्दे पर देशद्रोह का केस लगा कर अंदर कर दिया जा रहा है, अगर उसी तरह से कंगना के बयान को भी देखा जाए तो यह देशद्रोह से कम नहीं है.
कंगना रनौत ने आजादी के लिए अपनी जान न्योछावर करने वालों, आजादी किस लिए संघर्ष करने वालों और सालों तक जेल में गुजारने वालों का अपमान किया है. लेकिन मोदी सरकार अभी तक इस मुद्दे पर खामोश बैठी है. लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर मोदी सरकार (Modi government) ने कंगना रनौत को पद्मश्री किस आधार पर दिया है?
पिछले कुछ सालों में कंगना की तरफ से ऐसे कई बयान दिए गए हैं जिस पर हंगामा हुआ है. दरअसल कंगना बीजेपी की बहुत बड़ी समर्थक है और खास तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की बहुत बड़ी फैन है. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते करते उन्हें ही देश मानने लगी है, उनके फैसलों को ही सर्वोच्च मानने लगी है.
कंगना रनौत विपक्ष के नेताओं के लिए असभ्य भाषा का इस्तेमाल करती हैं. देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी और सबसे पुरानी विचारधारा और देश पर लंबे समय तक शासन करने वाली और इस देश की आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाली कांग्रेस से कंगना की नफरत भी किसी से छुपी नहीं है.
कंगना को पद्मश्री क्यों दिया गया है यह कंगना रनौत ने साबित कर दिया है. देश के जरूरी मुद्दों से ध्यान कंगना लंबे समय से हटाने के लिए उल जलूल बयान देती रहती हैं. इससे पहले वह आंदोलनकारी किसानों को आतंकवादी और खालिस्तानी तक बता चुकी है. उसके बावजूद कंगना को पद्मश्री दिया गया है. इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि उन्हें बीजेपी का समर्थन और बीजेपी की नीतियों का विरोध करने वालों के खिलाफ बयानबाजी करने के कारण ही पद्मश्री दिया गया है.
दरअसल कंगना रनौत और इनके जैसे कई और लोगों को लगने लगा है कि अब देश के अंदर सत्ता परिवर्तन कभी होगा ही नहीं. दूसरी पार्टी इस देश में कभी सरकार बना ही नहीं पाएगी. बस इसीलिए यह लोग बीजेपी को और प्रधानमंत्री मोदी को सर्वे सर्वा मानकर विपक्षियों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और इस देश के महान सपूतों का लगातार अपमान किए जा रहे हैं.
बीजेपी का ढोंग
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी को अपना आदर्श बताते हैं और दूसरी तरफ कंगना रनौत जैसे लोग महात्मा गांधी के संघर्षों का अपमान करते हैं, उनके विचारों को दरकिनार करने की कोशिश करते हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर इसे धूमधाम से मनाने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कंगना जो उन्हीं की समर्थक हैं, कह रही हैं कि 1947 में मिली आजादी भीख थी, असली आजादी तो 2014 में मिली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कंगना रनौत को पद्मश्री देती है. लेकिन आजादी को लेकर और अपनी जान तक न्योछावर करने वालों का अपमान करने के बावजूद बीजेपी के किसी भी बड़े नेता ने कंगना की निंदा नहीं की. उनके बयान को वापस लेने की बात नहीं कही और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसको लेकर अभी तक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है और ना ही पद्मश्री वापस लेने की बात कही है. आखिर यह बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दोहरा चरित्र ही तो है.
The post कंगना के बयान पर हंगामा क्यों? उसने तो साबित कर दिया appeared first on THOUGHT OF NATION.
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