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ममता की जीत और PM मोदी की हार क्यों हुई पश्चिम बंगाल में?

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पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं. तृणमूल कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है. वहीं भाजपा जो सरकारी संस्थाओं, मेंस्ट्रीम मीडिया और अथाह पैसे के दम पर लंबे समय से बंगाल जीतने की कोशिश में लगी हुई थी, उसे जबरदस्त झटका लगा है.
BJP के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की हार बहुत बड़ी है, PM नरेंद्र मोदी (PM Modi) के लिए यह हार बहुत बड़ी है. गृह मंत्री शाह के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की हार शर्मनाक है. क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना लिया था. लंबे समय से पश्चिम बंगाल जीतने के लिए जी जान लगा रखी थी अमित शाह ने.
BJP ने बंगाल जीतने के लिए साम-दाम-दंड-भेद का हर तरीका अपनाया, ध्रुवीकरण (Polarization) की जबरदस्त कोशिश की गई. BJP ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की जीत के लिए पश्चिम बंगाल को हिंदू और मुसलमान में बांटने कि अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की. ब्राह्मण पुत्री ममता बनर्जी को देखते ही “जय श्रीराम” के नारे लगाए जाते थे और यह किसी धार्मिक कार्यक्रम में नहीं राजनीतिक कार्यक्रम में लगाए जाते थे.
देश में दो राज्य ऐसे हैं, पंजाब और बंगाल, जिन्होंने बंटवारे का दंश झेला है. आजादी के बाद सबसे अधिक दंगे देखे हैं. बंगाल और पंजाब ने कभी भाजपा और उससे जुड़े हुए संगठनों को अपनाया ही नहीं. और उसी में से एक पश्चिम बंगाल में भाजपा धर्म के आधार पर बंटवारे की कोशिश कर रही थी राजनीतिक लाभ के लिए, जिसे पश्चिम बंगाल की जनता ने कामयाब नहीं होने दिया. भाजपा द्वारा की जा रही ध्रुवीकरण की राजनीति को पश्चिम बंगाल की जनता ने नकार दिया.
पश्चिम बंगाल की जनता देख रही थी कि एक महिला मुख्यमंत्री को हराने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी मशीनरी लगा दी थी, पैसों की पूरी ताकत लगा दी थी. भाजपा के तमाम केंद्रीय मंत्री और अलग-अलग भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री एक महिला मुख्यमंत्री को हराने के लिए पश्चिम बंगाल में डेरा डाले हुए थे. प्रधानमंत्री से लेकर देश के गृहमंत्री तक लगातार पश्चिम बंगाल के दौरे कर रहे थे.
बंगाल की जनता ने देखा कि कैसे देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठे हुए मोदी जी चुनावी रैली के दौरान देश की एक महिला मुख्यमंत्री को “दिद्दी ओ दिद्दी” कहकर संबोधित कर रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी की भाषा का स्तर भी पश्चिम बंगाल की जनता ने देखा. मीडिया ने पिछले 1 साल से बंगाल को लेकर भाजपा के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया था और कहीं ना कहीं भाजपा के नेताओं ने और प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने हीं ममता बनर्जी का प्रचार कर दिया.
जो भी बड़े नाम बंगाल भाजपा के पास थे वह सभी तृणमूल से भाजपा में आए हुए थे और उनमें से भी तमाम लोगों पर, जब वह लोग तृणमूल में थे तो भाजपा भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाया करती थी. भाजपा को अपने कई सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उतारना पड़ा. भाजपा सिर्फ मीडिया में थी, जमीन पर पर भाजपा कहीं भी नजर नहीं आ रही थी. मीडिया द्वारा एक झूठा माहौल बनाया गया.
पश्चिम बंगाल की जनता लगातार देख रही थी कि देश जिस समय भयावह दौर से गुजर रहा था, उस समय देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री लोगों की जान बचाने की बजाय चुनावी रैलियों की भीड़ को देखकर खुश हो रहे थे. जिस समय देश की जनता को मास्क न पहनने के कारण चालान देना पड़ रहा था, उस समय लाखों की भीड़ इकट्ठी करके अमित शाह बिना मास्क के रोड शो कर रहे थे.
कुल मिलाकर मीडिया द्वारा और खुद भाजपा द्वारा जिस तरीके से दिखाया जा रहा था कि यह लड़ाई प्रधानमंत्री मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और ममता बनर्जी के बीच है, उसी तरीके से अब यह मानना होगा कि भाजपा की हार प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी हार है, गृह मंत्री अमित शाह की शर्मनाक हार. इस बात को भाजपा के नेताओं को स्वीकार करना होगा और मीडिया यह स्वीकार करने से इंकार नहीं कर सकती, जेपी नड्डा पर यह हार नहीं डाली जा सकती.
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