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अमेरिका को,ट्रंप को सर्वे-सर्वा समझने से किसे फायदा हुआ,मोदी को या इमरान को?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने से पहले चुनाव में वादा किया था कि, अमेरिका फर्स्ट की विदेश नीति राष्ट्र हित में है और यही मेरी पहली प्राथमिकता होगी.

इमरान खान और नरेंद्र मोदी दोनों ही डोनाल्ड ट्रंप के सामने तवज्जो पाने की होड़ में लगे हुए हैं. नरेंद्र मोदी या फिर इमरान खान दोनों की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात में डोनाल्ड ट्रंप ने यह साबित कर दिया कि अमेरिका फर्स्ट की विदेश नीति उनकी प्राथमिकता है.दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष से मुलाकात में डोनाल्ड ट्रंप ने बाजी मारी है.

भारत-पाकिस्तान की बचकानी हरकतों में सबसे अधिक तवज्जो डोनाल्ड ट्रंप को ही मिली है. डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान की ओर से न ही किसी बात को स्वीकार किया और न ही इनकार किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करने के लिए जो भाषण दिया था, वह भी बुरी तरीके से असफल हुआ है.भारत अमेरिका से मोदी के भाषण द्वारा व्यापारिक सौदे करने में पूरी तरीके से नाकाम रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के साथ-साथ उनके समर्थक यही जानकर खुश हो सकते हैं कि, प्रधानमंत्री मोदी को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के पिता की उपाधि देने की कोशिश की. इसके अलावा अमेरिका से भारत को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है व्यापार के क्षेत्र में.

मोदी सरकार ने 2019 के आम चुनाव से पहले चिकित्सा उपकरणों के दाम कम कर दिए थे, जिसको लेकर अमेरिका बेहद चिंतित है. अमेरिका का और डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि यह कदम बाजार की व्यवस्था में एक हस्तक्षेप है, इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी व्यापारियों के सामने अपने भाषण के दौरान कहा कि भारत में डाटा ट्रांसमिशन की लागत बेहद कम है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारत में कारोबार करना फायदेमंद साबित होगा.

लेकिन अमेरिका का मानना है कि भारतीय निवेशक सरकार द्वारा नियंत्रित सब्सिडी पर ज्यादा भरोसा करते हैं, सरकार द्वारा नियंत्रित डाटा ट्रांसमिशन की नीतियां विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए हतोत्साहित करती है. कुल मिलाकर जिस तर्क के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित करने की कोशिश की, उसी तर्क को आधार बनाकर अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करने से बचती है.

इसके अलावा पाकिस्तान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री पाकिस्तान के खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी बात को अमेरिका द्वारा जिस तरीके से लिया गया उससे वह निराश है.

इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान दोनों को बातचीत करने की सलाह दी और पाकिस्तान यह मांग लंबे समय से कर रहा था.पाकिस्तान के मीडिया चैनल इस बात से खुश है कि, राष्ट्रपति ट्रंप में भारतीय पत्रकारों की बेइज्जती की. वही हाल इधर भी है, भारत के मीडिया चैनल यह प्रचार कर रहे हैं कि पाकिस्तानी पत्रकारों की सार्वजनिक रूप से डोनाल्ड ट्रंप ने बेज्जती की है.

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्र हित में काम किया है, पूरे परिदृश्य पर ध्यान दिया जाए तो अमेरिकी दौरे पर सबसे बड़ा फायदा इमरान खान और प्रधानमंत्री मोदी दोनों की मुलाकात डोनाल्ड ट्रंप से होने के दौरान अगर किसी को हुआ है तो वह खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हुआ है.

यह भी पढ़े : अमेरिका में बोले प्रधानमंत्री मोदी भारत में सब अच्छा है पर सच्चाई तो कुछ और बयां कर रही है

Thought of Nation राष्ट्र के विचार
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