सुनिल जैन
ब्यावर. कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय में केन्द्र तो खोल दिया गया लेकिन यहां पर उपचार लेने वाले बच्चों की संख्या नाम मात्र की है। एेसे में अधिकांश समय केन्द्र पर ताला ही लटका रहता है। बीते आठ माह के आंकड़ों पर नजर डाले तो इन दिनों में केवल ४२ बच्चों ने उपचार लिया। गत तीन माह में केवल छह बच्चे लाभान्वित हुए। यहां पर कुपोषित बच्चों को भेजने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केन्द्र संचालकों की है लेकिन वहां से भी बच्चों को नहीं भेजा जा रहा। राज्य सरकार की ओर से कुपोषित बच्चों को उपचार की सुविधा मुहैया कराने के लिए ब्यावर के अमृतकौर चिकित्सालय में केन्द्र खोला गया। इस केन्द्र पर शुरूआत में तो बच्चों की संख्या अच्छी रही और इसका कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों से रेफर होकर आने वाले बच्चे थे। लेकिन धीरे धीरे आंगनबाड़ी केन्द्रों से बच्चों को रेफर करने का सिलसिला कम होता गया और वर्तमान में स्थिति यह है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों से बच्चों को भेजा ही नहीं जा रहा है। यही कारण है कि यहां उपचार के लिए आने वाले बच्चों की संख्या नाम मात्र की है। गत वर्ष इस केन्द्र पर करीब डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चों ने अपने स्वास्थ्य में सुधार किया। गत सतरह अगस्त को एक बच्चे को छुट्टी दी गई और २१ अगस्त को एक और बच्चे को छुट्टी दे दी गई। इसके बाद से ही कुपोषण उपचार केन्द्र पर ताले लगे है।इस साल भर्ती हुए बच्चेजनवरी २०१९ – ७फरवरी २०१९ – १०मार्च २०१९ – १अप्रेल २०१९ – १०मई २०१९ – ८जून २०१९ – ३जुलाई २०१९ – १अगस्त २०१९ – २
प्ले एरिया की खलती कमीकुपोषण उपचार केन्द्र में बच्चों को खेलने के लिए खिलौने आदि की व्यवस्थाएं भी है। लेकिन जहां पर कुपोषण उपचार केन्द्र खोला गया है, वहां पर प्ले एरिया ही नहीं है। एेसे में यह सुविधा होने के बावजूद बच्चों को यह सुविधा नहीं मिल रही। हालाकिं अस्पताल प्रशासन नई जगह पर केन्द्र खोलने की व्यवस्था पर विचार कर रहा है और वहां पर प्ले एरिया भी विकसित किया जाएगा।
अभिभावकों को भी मिलती है राशिकुपोषण उपचार केन्द्र में बच्चे के भर्ती होने पर एक अभिभावक को सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि का भुगतान अस्पताल प्रबन्धन की ओर से किया जाता है। इसके बावजूद भी कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए लोग जागरूक नहीं है। यही कारण है कि अस्पताल के केन्द्र में आने वाले बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन घट रही है।
आंगनबाड़ी केन्द्रों से कहां गए बच्चेअस्पताल प्रशासन का दावा है कि कुपोषण उपचार केन्द्र पर वे ही बच्चे आते है, जिनको अमृतकौर चिकित्सालय में चिकित्सकों ने जांच के बाद कुपोषित घोषित किया। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की आंगनबाड़ी केन्द्रों से कोई बच्चे नहीं आते। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी ओर से बच्चे केन्द्र के लिए भेजे जाते है, हालाकिं इनकी संख्या कम है।
नए वार्ड से जगी है उम्मीदचिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल के मदर चाइल्ड विंग में एक अलग से पिडिट्रिक वार्ड बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसमें एक करोड़ से अधिक की लागत आएगी। इस वार्ड में ३५ बेड चिल्ड्रन वार्ड व १५ बेड कुपोषण उपचार केन्द्र के लिए होंगे। केन्द्र के लिए यहां प्ले एरिया भी विकसित करने की योजना है। इस का निर्माण होने के बाद यहां बच्चों की संख्या बढऩे की उम्म्ीद है।
इनका कहना है…कुपोषण केन्द्र में वही बच्चे भर्ती होते है, जो उपचार के लिए आते है। इनकी संख्या कम है। अभी कोई नहीं, इसलिए बंद है। आंगनबाड़ी केन्द्रों से कोई बच्चे रेफर होकर नहीं लाए जाते। अगर वहां से आए तो केन्द्र उपयोगी होगा। फिलहाल यहां पर प्ले एरिया नहीं है। नया बनाने का चल रहा है, अगर हो गया तो उपचार के साथ सुविधा भी मिल सकेगी।डॉ.एम.एस.चांदावत, प्रभारी, कुपोषण उपचार केन्द्र, एकेएच ब्यावर
कुपोषित बच्चों को चिह्निकरण का कार्य आंगनबाड़ी केन्द्र पर एएनएम की ओर से किया जाता है। कुछ बच्चों को कुपोषण केन्द्र के लिए भेजा भी गया है, लेकिन इसकी संख्या करीब दस से ज्यादा नहीं होगी। इसके लिए केन्द्र संचालकों को निर्देशित किया जाएगा। ताकि बच्चों को उपचार मिल सके।नितेश यादव, महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी, ब्यावर व जवाजा
- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -