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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के साथ यह क्या हो रहा है?

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कुछ ही महीनों बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly) चुनाव होने वाले हैं और इसी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से लगभग यह तय हो जाएगा कि 2024 का जनादेश बीजेपी प्राप्त कर पाएगी या फिर नहीं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के तमाम बड़े नेता और खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ध्रुवीकरण की राजनीति पर उतारू हो चुके हैं. योगी आदित्यनाथ “अब्बा जान” से लेकर तालिबान तक पर बात कर रहे हैं. इसके अलावा “कैराना” के पलायन को भी याद दिला रहे हैं.
बीजेपी का मकसद साफ है. धर्म के नाम पर जनता को बांट दो और चुनाव जीत लो. उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ध्रुवीकरण करने की कोशिश की थी और उसमें सफलता भी पाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से श्मशान और कब्रिस्तान पर बयानबाजी हुई थी, जिसका सीधा लाभ बीजेपी को चुनाव में हुआ था.
2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की तरफ से हिंदू आतंकवाद शब्द का इजाद किया गया था दिग्विजय सिंह के बयान को बीजेपी ने चुनाव के दौरान खूब भुनाया था. बीजेपी ने पूरे देश में यह प्रचारित किया था और आज भी कहती है कि कांग्रेस हिंदुओं को आतंकवादी कहती है या फिर बीजेपी की तरफ से कहा जाता है कि हिंदू आतंकवाद शब्द का इजाद कांग्रेस की देन है. बीजेपी इसके लिए गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराती है और गांधी परिवार को बदनाम करती है.
कांग्रेस के नेता समय-समय पर ऐसे बयान देते हैं जिसका लाभ कांग्रेस को ना मिल कर सीधा बीजेपी को मिलता है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सलमान खुर्शीद (salman khurshid) की तरफ से भी ऐसा ही किया गया है. उन्होंने अपनी किताब का विमोचन किया है, जिसमें उन्होंने हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस से की है. आखिर कांग्रेस के नेता समय-समय पर ऐसे बयान क्यों देते हैं जिसका लाभ बीजेपी को मिले?
हालांकि यह भी स्पष्ट करने वाली बात है कि सलमान खुर्शीद की तरफ से सनातन धर्म को लेकर कोई गलत बयान बाजी नहीं हुई है. बीजेपी और आरएसएस जिस हिंदुत्व की बात करती है, जिस हिंदुत्व के नाम पर राजनीति करती है, उस हिंदुत्व को लेकर सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में लिखा है. पिछले कुछ वक्त से देखा जा रहा है कि जिस हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी राजनीति करती आ रही है, वही लोग “जय श्रीराम” के नारे लगाकर किसी की भी लिंचिंग कर दे रहे हैं, किसी को भी मार दे रहे हैं.
मारने से पहले, लिंचिंग करने से पहले “जय श्रीराम” के नारे लगवाए जा रहे हैं. सलमान खुर्शीद ने ऐसे ही लोगों को लेकर अपनी बात किताब में रखी है. लेकिन बीजेपी सलमान खुर्शीद के बयान को आधार बनाकर उत्तर प्रदेश चुनाव में लाभ जरूर लेना चाहेगी.
सवाल सिर्फ इतना है कि कांग्रेस के नेता जनता के मुद्दों पर अपनी बात क्यों नहीं रख रहे हैं? बीजेपी की पिच पर जाकर बैटिंग क्यों कर रहे हैं? जितना अधिक कांग्रेस के नेता धर्म को लेकर बातें करेंगे, उतना बीजेपी को फायदा होगा. बीजेपी के राज में कानून व्यवस्था को लेकर, बीजेपी के राज में बेरोजगारी को लेकर, महंगाई को लेकर अपनी बात कांग्रेस के नेता क्यों नहीं रख रहे हैं? क्यों धर्म को लेकर टिप्पणियां कर रहे हैं?
राहुल गांधी ने भी दिया था बयान
ब्रदर हुड जैसे आतंकवादी संगठनों से राहुल गांधी भी आरएसएस और बजरंग दल जैसे संगठनों की तुलना कर चुके हैं. लेकिन राहुल गांधी ने किसी धर्म को आतंकवादी नहीं बताया. कांग्रेस के नेताओं को बयानबाजी करते समय या अपना मत रखते समय या किसी किताब को लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह किसी धर्म को लेकर कुछ गलत नहीं कह रहे हैं. किसी संगठन को लेकर, कुछ व्यक्तियों को लेकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं.
सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में जो बात रखी है उसको और स्पष्टता के साथ कहा जा सकता था सलमान खुर्शीद में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस से की है जबकि निश्चित तौर पर वह उस संगठन की बात कह रहे हैं जिस संगठन से जुड़े हुए लोग‌ धर्म के नाम पर “जय श्रीराम” के नारे लगवा कर लोगों की लिंचिंग कर रहे हैं. सलमान खुर्शीद को यह स्पष्ट करना चाहिए था कि हिंदुत्व का मतलब आरएसएस नहीं है और ना ही हिंदुत्व का मतलब बजरंग दल है और ना ही हिंदुत्व के ठेकेदार आरएसएस या फिर बजरंग दल जैसे संगठन है.
प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लगातार सक्रिय हैं और उत्तर प्रदेश की जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर लगातार वह सरकार से सवाल कर रही हैं. कई बार सरकार को झुकने पर मजबूर कर चुकी है. लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं का धर्म को लेकर बयानबाजी प्रियंका गांधी की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर सकता है. इसलिए ऐसे नेताओं को जनता के मुद्दों को छोड़कर बीजेपी की पिच पर जाने से परहेज करना चाहिए.
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