सीकर. वीरता के अभिमानी राजा सीता से विवाह की इच्छा लिए एक एक कर भगवान शिव का धनुष उठाने की कोशिश करते हैं। पूरे बलाबल से भी वो उसे हिला तक नहीं पाते। कुछ तो छूने से पहले ही धनुष के हाथ जोडक़र बैठ जाते हैं। इसी बीच रावण भी धनुष को उठाने आता है और लंका में आग और हाहाकार की आकाशवाणी सुन सीता को एक दिन लंका ले जाने की घोषणा करते हुए वापस लौट जाता है। सारे राजाओं से धनुष नहीं उठता देख राज जनक निराश हो जाते हैं। इसे देख गुरु विश्वामित्र भगवान श्रीराम को शिव धनुष उठाने की प्रेरणा देते हैं। गुरु को शीश नवाकर राम सिंह की सी शान से धनुष के पास जाते हैं और खिलौने की तरह उसे उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देते हैं। यह देख पांडाल भगवान श्रीराम के जयकारों के साथ तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठता है। सांस्कृतिक मंडल की रामलीला मैदान में सोमवार को रामलीला का मंचन हुआ तो कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। भाव से भरी दर्शकों की भीड़ के बीच इसके बाद धनुष टूटने की आवाज सुन सभा में पहुंचे परशुरामजी का लक्ष्मण से तीखा संवाद हुआ। इसमें क्रोध से भरे परशुराम पर लक्ष्मण व्यंग्य वार करते हैं। इससे पहले रामलीला का आगाज राजा दशरथ की पुत्र की चिंता और गुरु वशिष्ठ के पुत्र कामेष्ठी यज्ञ की मंत्रणा से हुआ। जिसके बाद यज्ञ और राम जन्मोत्सव का मनोहर दृश्य का मंचन किया गया। ओमकार से मोक्ष की प्राप्ति संभव- विभाश्रीसीकर. मंगल प्रवचनों में आर्यिका विभाश्री माताजी ने सोमवार को ओमकार व धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ओमकार मंत्र मनोवांछित फल और मोक्ष प्रदान करने वाला है। उन्होंने कहा ओमकार धर्म का मूल है और श्रद्धा से धर्म का अनुमोदन करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। धर्म की शिक्षा व संस्कार को बच्चों तक पहुंचाना हर माता पिता का कर्तव्य है। मद्य, मांस, मधु को दूर से ही छोड़ यथायोग्य देवदर्शन, रात्रि भोजन का त्याग, जीवों पर दया करने जैसे संस्कार हर घर में होने चाहिए। प्रवचन से पहले मांगलिक क्रियाएं रतनलाल जैन कोटा परिवार ने की।
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