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कंगना राणावत योगी आदित्यनाथ से मिलने पर यह क्या बोल गई?

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कंगना राणावत (Kangana Ranaut) अक्सर सोशल मीडिया के जरिए अपने बयानों के कारण चर्चा में बनी रहती हैं. कंगना राणावत के बयानों के चलते ही ट्विटर ने उन्हें बैन किया था. पब्लिसिटी के लिए कांग्रेस की आलोचना भी करती रहती हैं और बीजेपी का प्रचार प्रसार भी.
कंगना राणावत (Kangana Ranaut) बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा को खुलकर समर्थन करती हैं. विपक्षी राजनीतिक दलों के खिलाफ और उनके नेताओं के खिलाफ गलत बयानबाजी करके भी कंगना राणावत सुर्खियों में बनी रहती हैं. कई बार गलत बयानबाजी के कारण वह मुश्किलों में भी आ चुकी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का सोशल मीडिया पर खुलकर प्रचार करना एक तरह से कंगना राणावत का परमानेंट पेशा बन चुका है. पिछले दिनों कंगना राणावत ने आंदोलनकारी किसानों को खलिस्तानी और देशद्रोही तक बताया था. हालांकि उन्हें खुद खेती और किसानी के बारे में भले ही कुछ ना पता हो, लेकिन तीनों कृषि बिलों के समर्थन में किसानों के लिए अपशब्दों का खूब इस्तेमाल किया है उन्होंने.
एक बार फिर से कंगना राणावत सुर्खियों में है. इस बार उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में वह योगी से मुलाकात करते हुए, उनका अभिनंदन करते हुए कह रही हैं कि, रामचंद्र की तरह तपस्वी राजा का यहां राज रहे और आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
कंगना राणावत (Kangana Ranaut) ने योगी आदित्यनाथ के राज की तुलना भगवान राम के राज से की है और उम्मीद जताई है कि योगी आदित्यनाथ राजाराम की तरह उत्तर प्रदेश पर राज करेंगे. एक लोकतांत्रिक देश में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के सामने कंगना राणावत लोकतंत्र की नहीं राजतंत्र की बात कर रही हैं.
क्या कंगना राणावत भूल गई हैं कि भारत में राजतंत्र नहीं बल्कि लोकतंत्र है. इसके लिए स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर क्रांतिकारियों तक ने अपनी जान दी, लड़ाइयां लड़ी तब हमने यह लोकतंत्र पाया है राजतंत्र को खत्म करके. लोकतंत्र की कल्पना हमारे वीर क्रांतिकारियों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तक ने की है. राजतंत्र की बात करके कंगना राणावत देश को आजादी दिलाने वालों का अपमान नहीं कर रही है?
कंगना राणावत की बातों को सुनकर यही लगता है कि तमाम भाजपा और आरएसएस के समर्थक कभी भी लोकतंत्र के समर्थक नहीं रहे हैं. यह लोकतंत्र की बातें तभी करते हैं जब विपक्ष की सरकारें हो. अगर बीजेपी की सरकार है तो यह चाहते हैं कि लोकतंत्र को कुचल दिया जाए, विपक्ष को खत्म कर दिया जाए. आलोचना के लिए उठने वाली आवाजों को दबा दिया जाए और तानाशाही लागू करके राजतंत्र की स्थापना की जाए.
सरदार पटेल को प्रधानमंत्री मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम नेता चुनावी रैलियों के दौरान याद करते हैं. ताकि सरदार पटेल के नाम पर जनता को गुमराह किया जा सके और वोट लिया जा सके. लेकिन राजतंत्र को खत्म करने में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ-साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल की भी अहम भूमिका रही. उन्होंने राजतंत्र और राजशाही को खत्म करके एक देश की कल्पना को साकार किया और लोकतंत्र को जीवित किया. क्या कंगना राणावत सरदार पटेल की भावनाओं का अपमान नहीं कर रही है?
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