28 अगस्त को किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में हरियाणा के करनाल में जिला मुख्यालय तक प्रदर्शन के लिए किसान अनाज मंडी में इकट्ठा हुए हैं. वहां पर अभी तनाव की स्थिति बनी हुई है. करनाल में जिला मुख्यालय तक विरोध मार्च की अनुमति को लेकर किसानों और अधिकारियों के बीच बातचीत विफल हो गई है.
करनाल अनाज मंडी में हुई महापंचायत के मंच पर मौजूद टिकैत और योगेंद्र यादव भी बैठक में शामिल थे. किसानों ने योजना बनाई थी कि महापंचायत के बाद वह प्रदर्शन करेंगे और करनाल जिला मुख्यालय का अनिश्चित काल तक घेराव करेंगे. लेकिन जिले के अधिकारियों ने कहा है कि वह किसानों को यह प्रदर्शन नहीं करने देंगे और सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है.
कुछ किसानों को हिरासत में लिया गया था तथा वार्ता विफल हो गई है जिसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के टि्वटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा है कि, करनाल में सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही. या तो खट्टर सरकार मांग माने या हमें गिरफ्तार करे. हम हरियाणा की जेलें भरने को भी तैयार- राकेश टिकैत
करनाल में सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही। या तो खट्टर सरकार मांग माने या हमें गिरफ्तार करे। हम हरियाणा की जेलें भरने को भी तैयार-राकेश टिकैत@ANI @PTI_News @sakshijoshii #FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) September 7, 2021
टिकैत समर्थकों से धक्का-मुक्की
किसान नेता चार बैरिकेड हटने के बाद सचिवालय पहुंचे. सबसे पहले निर्मल कुटिया पर लगा बैरिकेड हटाया गया, उसके बाद सेक्टर 12, फिर कोर्ट और सबसे अंत में सचिवालय पर लगे बैरिकेड हटाए गए. सचिवालय पर पैरामिलिट्री फोर्स तैनात थी, जब तक फोर्स के पास प्रशासन से मैसेज नहीं पहुंचा. उन्होंने किसान नेताओं को वहां पांच मिनट तक रोके रखा. मैसेज आने के बाद बैरिकेड हटाकर किसानों को भीतर जाने दिया गया. टिकैत के समर्थकों से सचिवालय बैरिकेड पर धक्का-मुक्की हुई. पैरामिलिट्री फोर्स ने उन्हें भीतर नहीं जाने दिया और कहा कि सिर्फ 11 लोग ही प्रशासन से बात करेंगे.
करनाल में जिला प्रशासन से तीसरे दौर की वार्ता विफल होने के बाद जिला सचिवालय के घेराव को निकले किसान हाईवे पर चौथा नाका तोड़कर आगे बढ़ गए. वहीं पुलिस ने हिरासत में लिए गए किसानों को छोड़ दिया है. वार्ता विफल होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा है की आगे की रणनीति अनाज मंडी में तय करेंगे. बता दें कि करनाल में किसानों और प्रशासन के बीच वार्ता विफल हो गई है.
इसके अलावा आपको बता दें कि भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्रीनारायण चौधरी ने बताया है कि सभी किसानों को बराबर लाभदायक कीमतें देने की मांग को लेकर 8 सितंबर को देश के सभी जिलों में प्रदर्शन किया जाएगा. सरकार को किसान आंदोलन पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए.
बद्रीनाथ चौधरी ने कहा है कि फसल उगाने में किसानों का जो खर्च आता है, उसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए. सरकार को या तो किसानों को ऐसी कीमत दी जानी चाहिए जिससे उसका लाभ हो या फिर हमें बताएं कि हमारी मांगे गलत क्यों है. मौजूदा एमएसपी धोखा है एमएसपी तय करने के लिए एक कानून होना चाहिए.
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