- Advertisement -
HomeNewsटेण्डर नाम का, इंतजार मौत का: आधा दर्जन मौतों के बाद भी...

टेण्डर नाम का, इंतजार मौत का: आधा दर्जन मौतों के बाद भी नहीं चेत रहा प्रशासन

- Advertisement -

दौसा. बांदीकुई. क्षेत्र में आवारा जानवरों के हमले से करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। जबकि पालिका प्रशासन की ओर से आवारा जानवरों को पकड़कर अन्यत्र छुड़वाए जाने का टेण्डर भी किया जा चुका हैं, लेकिन बाजार में सड़कों पर ये आवारा जानवर विचरण करते रहते हैं। आए दिन सांडों की लड़ाई में लोग चोटिल हो रहे हैं। हालात ये हो गए हैं कि रात को ये आवारा जानवर सड़कों पर बैठ जाते हैं। इससे हादसा घटित होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
कई बार तो स्थिति ये हो जाती है कि इन जानवरों के सड़क से नहीं हटने के कारण जाम की स्थिति बन जाती है। किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल काफी बड़ी हो गई है। ये आवारा जानवर खेतों में चरने के लिए घुस जाते हैं और फसल को चौपट कर जाते हैं। शहरी क्षेत्र में नगरपालिका एवं ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। जबकि भारतीय किसान संघ की ओर से मुख्यमंत्री के नाम कई बार ज्ञापन भी सौंपे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक क्षेत्र में कोई गोशाला संचालित किए जाने की कार्रवाई नहीं की गई है। ये आवारा जानवर रेलवे स्टेशन पर भी घूमते नजर आते हैं। इससे गंदगी बिखरी रहती है। आवारा जानवरों के गंदगी बिखेरने से शहर का सौन्दर्यीकरण भी पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। मरियाड़ा पशु चिकित्सालय पर लटका ताला मानपुर. मरियाड़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर संचालित राजकीय पशु चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सक का तबादला होने के बाद दूसरा नहीं लगाने से चिकित्सालय पर तीन दिन से ताला लटका हुआ है। इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सालय में एलएसए व सहायक कर्मचारी का पद भी करीब तीन साल से रिक्त चल रहा है।
पशुपालक राजेश गुर्जर, मानसिंह गुर्जर, अनिल सहित अन्य ने बताया कि पंचायत के जीर्ण-शीर्ण भवन में संचालित पशु उपकेंद्र को क्रमोन्नत कर चिकित्सालय बना दिया, लेकिन यहां कार्यरत चिकित्सक कमलेश मीना का स्थानांतरण होने के बाद दूसरा नहीं लगाने से तीन-चार दिन से चिकित्सालय बंद पड़ा है। इससे पशुपालकों को मवेशियों के उपचार सहित अन्य सरकार की योजनाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
 
पशुपालकों का कहना है कि एलएसए व सहायक कर्मचारी का पद भी दो सालों से खाली चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जीर्ण-शीर्ण भवन में संचालित चिकित्सालय में बारिश में पानी टपकता है। इससे दवाएं भी भीगने से खराब हो जाती है। पशुपालकों का कहना है कि पंचायत क्षेत्र में अधिकांश लोग पशुपालन करते हैं, प्रतिदिन 1500 लीटर दूध उत्पादन होता है। इसके बावजूद भी सरकार गांव के पशु चिकित्सालय के भवन व स्टॉफ लगाने पर जोर नहीं दे रही है।

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -