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VIDEO. आंगनबाड़ी केंद्र पर कीड़ों वाली दाल खा रहे बच्चे, बड़े स्तर पर हो रही गड़बड़ी

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सीकर. आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं व बच्चों को पौष्टिक आहार के नाम पर कीड़े लगी चने की दाल बांटी जा रही हैं। यह मामला सीकर शहर के 23-1 आंगनबाड़ी केंद्र पर सामने आया। केंद्र पर शुक्रवार को तीन महीने बाद एक्सपायरी डेट की दाल बांट दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि यह पूरी गड़बड़ी ठेकेदार के स्तर पर हुई है। ठेकेदार ने ही हमे पुरानी दाल दी है, तो हम इसमें क्या कर सकते हैं। इस मामले में गर्भवती महिलाओं में सरकारी सिस्टम के खिलाफ काफी आक्रोश है। इससे विभाग के गर्भवती महिलाओं व बच्चों के पोषण को लेकर किए जाने वाले दावों की हकीकत भी सामने आ गई है।
विभाग की ओर से ऐसे बांटी जाती है दालआंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती, धात्री महिला व बच्चों की तीन श्रेणी बनाकर खाद्य सामग्री दी जाती है। जिसमें गर्भवती महिला को, धात्री महिला को 6 माह तक, 7 माह से 3 वर्ष तक व 3 वर्ष से 6 वर्ष तक बच्चों की दो केटेगरी को हर महीने तीन किलो दाल बांटी जाती है।
आरोप: बड़े स्तर पर हो रही गड़बड़ी
पोषाहार सेवाओं के तहत यह सामग्री आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत लाभार्थियों को ही मिलती है। चने की दाल में कार्बोहाईड्रेड, वसा, प्रोटीन व विटामिन होते है। जिससे गर्भवती, धात्री महिलाओं एवं बच्चों को पूरा पोषण मिल सके। लेकिन इसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ी होने का आरोप है। लाभार्थियों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन माह पुरानी कीड़े लगी दाल बांटी जा रही है। ऐसे में इनके स्वास्थ्य से सरेआम खिलवाड़ होता नजर आ रहा है।
एक्सपायर होने के तीन महीने बाद बांटी दालअक्टूबर माह की पैकेजिंग दाल तीन महीने बाद एक्सपायर हो गई। एक्सपायर होने के तीन महीने बाद आंगनबाड़ी केंद्र पर 2 अप्रेल को गर्भवती धात्री महिलाओं व बच्चों को दाल बांटी गई है। दाल लगभग पूरी तरह से खराब हो चुकी है। जिसको न तो परिवार वाले उपयोग में ले सकते है और न ही गर्भवती महिला के काम आ सकती है। धात्री महिला नगमा कुरैशी एवं इनामुल हुसैन व अलीना हुसैन के परिजनों ने इस मामले की शिकायत दी है। इनका यह भी कहना है कि यह दाल खाकर धात्री महिला और बच्चों को कुछ हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। मोहल्लेवासियों ने आक्रोश जताते हुए उच्च अधिकारियों से जांच की मांग की है।
जिम्मेदारों ने नहीं उठाया फोनइस मामले में राजस्थान पत्रिका टीम ने विभाग की उपनिदेशक सुमन पारीक को दो बार कॉल किया। लेकिन उन्होंने कॉलरिसिव नहीं किया। इलाके के लोगों ने इस लापरवाही के खिलाफ विभाग के अधिकारियों को लिखित में शिकायत भेजी है।

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