अजय शर्मासीकर. प्रदेश में विकास कार्यों पर कोरोना का साया नजर आ आ रहा है तो वहीं सरकार ने बजट के टोटे की वजह से जनता की ओर से प्रदेशभर में तैयार लगभग दो हजार प्रोजेक्ट से भी सोशल डिस्टेंस बना लिया है। राज्य सरकार की ओर से श्मशान घाट व क्रबिस्तान में सुविधा विस्तार से लेकर नाली-सड़क निर्माण के लिए जन सहभागिता योजना संचालित की जाती है, लेकिन पिछले एक साल से बजट नहीं मिलने से कई जगह गांवों की सरकार जनता की फाइलों को लौटाने की तैयारी में है। प्रदेश की सभी जिला परिषदों को जनता के प्रोजेक्ट में भागीदारी निभाने के लिए लगभग 110 करोड़ रुपए का बजट चाहिए। सीकर सहित कई जिला परिषदों की ओर से इस संबंध में पत्र भी लिखा जा चुका है।
सरकार देती है 60 से 90 फीसदी तक सहयोगप्रदेश में पंचायतीराज व शिक्षा सहित अन्य विभागों की ओर से जन सहभागिता योजना संचालित की जाती है। पंचायतीराज विभाग की ओर से श्मशान व कब्रिस्तान विकास के लिए 90 फीसदी तक सहयोग दिया जाता है। शेष दस फीसदी राशि ग्रामीणों की ओर से देनी होती है। वहीं अन्य विकास कार्यों के लिए सरकार की ओर से 30 फीसदी सहायता दी जाती है। अन्य राशि ग्रामीणों को चुकानी पड़ती है। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से समसा के जरिए योजना संचालित होती है। इसमें 60 फीसदी अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालयों को राशि आवंटित की जा रही है।
इन 2 उदाहरणों से समझें सहभागिता का महत्व
1. मिसाल, जनसहभागिता से बदली सूरतशहीद नेमीचंद राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय खूड़ी बड़ी लक्ष्मणगढ़ की सूरत संवारने के लिए भामाशाहों ने सरकार की इस योजना का सहारा लिया। ग्रामीणों ने 12 लाख रुपए की राशि एकत्रित की। इसके बाद सरकार ने 18 लाख रुपए दिए जो विद्यालय की सूरत बदल गई। अब तक विद्यालय में 30 लाख के काम हो चुके हैं। अब ग्रामीणों की ओर से 20 लाख रुपए और खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
2. …और यहां इंतजार, कैसे जुटाए संसाधनपिपराली पंचायत समिति क्षेत्र की कई ग्राम पंचायत श्मशान घाटों में सुविधा बढ़ाने के लिए कई महीनों से प्रयासरत है। ग्रामीणों ने गांव में राशि भी एकत्रित कर ली, लेकिन जब विभाग में सम्पर्क किया तो पता चला कि कई महीनों पहले से जमा फाइलों को ही राशि नहीं मिल पा रही है। ऐसे में ग्रामीणों ने अब अपने दम पर राशि एकत्रित कर अपने मिशन को पूरा करने की योजना बनाई है।
600 प्रस्तावों की राशि का सरकार कर रही उपयोग
प्रदेशभर में सभी विभागों की जन सहभागिता योजना में 600 से अधिक प्रस्ताव तो ऐसे हैं जिनमें ग्रामीणों की ओर से अपने कोटे की राशि छह महीने से लेकर एक साल पहले जमा कराई थी। इनकी राशि का सरकार उपयोग कर रही है। प्रदेश की कई जिला परिषदों में अब राशि लौटाने के आवेदन भी आने लगे हैं।
बजट के लिए मुख्यालय को लिखा पत्रराज्य सरकार को बजट के लिए लिखा है। बजट मिलते ही प्राथमिकता के आधार पर ग्राम पंचायतों को पैसा उपलब्ध कराया जाएगा।
सुरेश कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, सीकर
लम्बा हो रहा इंतजारसरकार को जन सहभागिता योजना में पैसा देना चाहिए। जिससे ग्रामीण खुद अपने दम पर जिन समस्याओं का समाधान करना चाहते हैं उनका कर सके। कई ग्राम पंचायतों को एक साल से पैसा नहीं मिला है।
संतोष मूण्ड, जिला सचिव, सरपंच संघ, सीकर
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