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आज आयुष्मान योग में बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, इस मुहूर्त की पूजा होगी सबसे शुभ

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सीकर. दिवाली का पर्व आज आस्था व उल्लास से मनाया जाएगा। इस बार पर्व पर चतुग्रही योग, प्रीति आयुष्मान योग और स्वाति नक्षत्र का विशेष योग है। जिसमें मां लक्ष्मी का पूजन बहुत लाभकारी होगा। इधर, मां लक्ष्मी के स्वागत में शहर की हर मुंडेर सज गई है। हर गली-कोना सतरंग रोशनी से सरोबार है। शहर के बाजारों में सुबह से ही चहल-पहल तेज हो गई है। शास्त्रानुसार कार्तिक अमावस्या को प्रदोश काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। ऐसे में लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6:32 से 6:45 तक रहेगा। इस अवधि में प्रदोश काल, वृष लग्न तथा कुंभ का स्थिर नवांश भी रहेगा।
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
प्रदोषकाल-सायं 5:38 से रात्रि 8:15 बजे तक।
वृष लग्न- सायं 6-20 से रात्रि 8-17 बजे तक।सिंह लग्न- मध्य रात्रि बाद 12-50 से रात्रि 3-06 बजे तक।
चौघडिय़ा मुहूर्त- अमृत व चर का चौघडिय़ा सायं 5:38 से रात्रि 8:54 बजे तक।लाभ का चौघडिय़ा- मध्य रात्रि 12:10 से रात्रि 1:48 बजे तक।
शुभ व अमृत का चौघडिय़ा- अंतरात्रि 3:26 से 6:42 बजे तक।
दिवाली लक्ष्मी पूजन का महत्व
पंडित दिनेश मिश्रा के अनुसार दिवाली का त्योहार मां लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे बड़ा और खास मौका होता है। सभी को दिवाली का इंतजार बेसब्री से रहता है। मान्यता है कि दिवाली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाती हैं। शास्त्रों में कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्ग से सीधे धरती पर आती हैं और हर घर में जाती हैं। जिन घरों में साफ-सफाई, प्रकाश और विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा -आराधना व मंत्रों पाठ होता है मां लक्ष्मी वहीं पर निवास करने लगती हैं। जिस कारण से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और धन की कभी भी कमी नहीं होती है।
दीपोत्सव पर तुला राशि में रहेंगे चार ग्रह
दीपोत्सव के आगमन को लेकर बाजार सज गए हैं। लोग माता लक्ष्मी की आराधना करने के लिए तैयार है। आज शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। दिवाली पर अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर लक्ष्मी पूजन का विधान होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को कहा जाता है। यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए।

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