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हरियाणा के चरखी दादरी में दम भरेंगे टिकैत

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तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग कर रहे किसानों का आंदोलन जारी है. केंद्र के इन कानूनों के खिलाफ किसानों के चक्का जाम का असर शनिवार को पूरे देश में दिखा. कई शहरों में सड़कों पर किसान उतरे तो ट्रैफिक की रफ्तार पूरी तरह ठप हो गई.
किसान नेता राकेश टिकैत चरखी दादरी में महापंचायत में आज हुंकार भरेंगे. किसान आंदोलन से जुड़े हर अपडेट जानने के लिए पेज रिफ्रेश करते रहें. हरियाणा के चरखी दादरी में सुबह 11 बजे पहली किसान महापंचायत होगी जबकि दोपहर 2 बजे चरखी दादरी में ही दूसरी किसान महापंचायत होगी. महापंचायत से पहले राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है और कहा कि दो अक्टूबर तक आंदोलन जारी रहेगा.
उन्होंने कहा कि हम किसी भी नेता से फोन पर बात नहीं करना चाहते हैं. सरकार से अब बराबरी पर बात होगी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का भी राजस्थान में जारी किसान आंदोलन में शामिल होने का कार्यक्रम है. राहुल गांधी 12 फरवरी को राजस्थान जाएंगे और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल होंगे. यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली को छोड़कर देशभर में किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ चक्का जाम किया.
सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि चक्का जाम सफल और शांतिपूर्ण रहा. कर्नाटक और तेलंगाना में कुछ समस्या सामने आई है, कुछ लोगों को हटाया गया है. आने वाले दिनों में आंदोलन को आगे बढ़ाने पर बैठक में चर्चा हुई है. किसानों के समर्थन में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में लगातार पंचायतों का आयोजन हो रहा है. हरियाणा के फतेहाबाद में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने शनिवार को किसान पंचायत की थी.
इस दौरान उन्होंने बीजेपी नेताओं को मॉडर्न डाकू बताया था. वहीं भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत हरियाणा के चरखी दादरी में होने वाली महापंचायत में हिस्सेदारी करने वाले हैं. टिकैत इस दौरान कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की बीच अपनी बात रखेंगे. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं. किसान तीन कानूनों को रद्द किए जाने से कम पर कुछ मानने को तैयार नहीं है.
केंद्र सरकार ने यहां तक कहा है कि वो डेढ़ साल तक इन कानूनों को स्थगित कर देंगी और इस दौरान जो सुझाव आएंगे उससे नए सिरे से लागू किया जाएगा. लेकिन किसानों ने साफ कह दिया है कि जब तक कानून निरस्त नहीं होंगे तब तक उनकी ‘घर वापसी’ नहीं होने वाली है.
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