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किसानों की अपने अधिकारों के लिए पदयात्रा, आज दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं हजारों किसान

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भारतीय किसान संगठन के हजारों की संख्या में किसान, दिल्ली की तरफ निकल पड़े हैं. किसानों की यह यात्रा नोएडा से आज यानी शनिवार को सुबह 8:00 बजे दिल्ली की ओर रवाना होगी.

भारतीय किसान संगठन के नेता का कहना है कि, उनकी कोई मांग नहीं है.वह लोग अपना अधिकार मांग रहे हैं. भारतीय किसान संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक सोम ने कहा है कि किसानों की अधिकार पदयात्रा की शुरुआत 11 सितंबर को सहारनपुर से हुई थी. हजारों की संख्या में किसान, अपने ट्रैक्टर ट्रालीयो और अपने वाहनों से दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं.

भारतीय किसान संगठन के उपाध्यक्ष ने कहा है कि उनकी कोई मांग नहीं है,वह लोग अपने अधिकार मांग रहे हैं.उनका कहना है कि चुनाव में कई नेता आए और किसानों की कर्ज माफी का वादा करके चले गए, वह लोग जीत गए और वादे भूल चुके हैं. किसानों को सस्ती बिजली देने की बात नेताओं ने कही थी,लेकिन सरकार बनने के बाद बिजली के दाम बेतहाशा बढ़ाए जा रहे हैं.

उनका कहना है कि किसानों का कर्ज माफ हो,बिजली मुफ्त मिले, किसानों के बच्चों को शिक्षा मुफ्त मिले. इसके अलावा सभी सदनों के सदस्यों (सांसद और विधायक) की पेंशन बंद हो और किसानों की जमीनों पर लगी रजिस्ट्री की रोक हटाई जाए.

भारतीय किसान संगठन के उपाध्यक्ष दीपक सोम ने बताया है कि,उनका संगठन फिलहाल छह राज्यों में है.इस अधिकार पदयात्रा के लिए सभी राज्यों में अलग-अलग बैठकें की गई है.फिलहाल उनके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश से भी किसान आए हुए हैं और इस यात्रा में शामिल हुए हैं.इसके अलावा 3 राज्यों के प्रतिनिधि भी उनके साथ हैं इस पदयात्रा में.

बहुत से किसान सीधे दिल्ली पहुंच रहे हैं,उन्होंने बताया कि दिल्ली में कृषि मंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा.

किसानों की इस पद यात्रा के कारण दिल्ली में जाम लगने की पूरी संभावना बनी हुई है,दिल्ली के लोगों को जाम से जूझना पड़ेगा. भारतीय किसान संगठन के बैनर तले यह यात्रा नोएडा से दिल्ली की तरफ बढ़ रही है. इस पद यात्रा को देखते हुए नोएडा प्रशासन सतर्क है.

अलग-अलग राज्यों से आए हुए किसान सेक्टर 69 स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में रुके हुए हैं थे.

बताते चलें कि देशभर के किसान अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनकी समस्याओं का हल नहीं निकाला जा रहा है,चुनाव के समय नेता आते हैं उनसे वादे करके चले जाते हैं,लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेता किसानों को भूल जाते हैं.

देखा जाए तो प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 चुनाव से पहले ही चुनाव प्रचार में पूरे देश के किसानों का कर्जा माफ करने का वादा किया था. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग में पूरे देश के किसानों का कर्जा माफ कर दिया जाएगा,हालांकि प्रधानमंत्री मोदी का एक कार्यकाल पूरा हो चुका है ,दूसरे कार्यकाल के भी 100 दिन से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदी यह वादा पूरा नहीं कर पाए.

राजनीतिक पार्टियों के लिए किसान सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गए हैं,किसानों को उनकी लागत का उचित मूल्य तक नहीं मिल रहा है.पूरे देश में किसानों की आत्महत्या की खबर अब आम बात हो चुकी है.सरकारें किसानों की समस्याओं को लेकर उसके निराकरण को लेकर गंभीर नजर नहीं आती है.

गन्ना किसानों के भुगतान का मामला भी अभी अटका हुआ है,कुल मिलाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं कर पा रहे हैं,जबकि पूरे देश की आबादी किसानों के ऊपर निर्भर करती है. पूरे देश का पेट भरने वाला किसान अपनी सामान्य जरूरतों के लिए भी लगातार संघर्ष कर रहा है. कभी कम बारिश के कारण किसान परेशान होता है तो कभी अत्यधिक बारिश के कारण उसे परेशान होना पड़ता है

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों की सरकारों को भी किसानों को तवज्जो देना चाहिए., उनकी समस्याएं तत्परता के साथ हल करनी चाहिए, उनके जो अधिकार वह मांग रहे हैं उसे बिना किसी देर किए देना चाहिए. हम खुद को कृषि प्रधान देश कहते हैं, लेकिन हमारे देश के कृषक ही खुशहाल नहीं है तो फिर देश कैसे खुशहाल होगा ?

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों की सरकारों को किसानों की समस्याओं को सर्वोपरि रखते हुए उसका तत्काल निराकरण करना होगा.

यह भी पढ़े : देश के वह मुद्दे जिसके सहारे जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं कुछ लोग

राष्ट्र के विचार
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