उत्तर प्रदेश बीजेपी के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के बीच खींचतान किसी से छुपी हुई नहीं है. 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने जब जीता था उस वक्त उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे केशव प्रसाद मौर्य. लेकिन चुनाव की जीत के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा योगी आदित्यनाथ के सर सजा.
केशव प्रसाद मौर्य को यह उम्मीद थी कि बीजेपी उन्हें चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बनाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने में योगी आदित्यनाथ कामयाब हो गए. एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और केशव प्रसाद मौर्य कई मौकों पर यह जता चुके हैं कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं या फिर मौका मिला तो पीछे नहीं हटेंगे.
केशव प्रसाद मौर्य के पिछले कुछ बयानों को अगर ध्यान से देखा जाए तो उन्होंने कभी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की बात नहीं की है या फिर स्वीकार नहीं किया है. जब भी उनसे सवाल किया गया है तो उन्होंने यही कहा है कि बीजेपी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा और CM का फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा. उन्होंने कभी नहीं कहा कि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री का चेहरा योगी आदित्यनाथ ही होंगे.
चुनाव बाद की विशेष परिस्थितियां?
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अगर कुछ विशेष परिस्थितियां बनती है तो उसमें खुद को आगे रखने के लिए अभी से तैयारियों में जुट चुके हैं. पिछले दिनों उन्होंने मौर्य समाज के सम्मेलन में एक भाषण दिया. इस भाषण की काफी चर्चा है उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में.
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा चुनाव के दौरान अधिक से अधिक संख्या में अपने लोगों को टिकट दिलाने की जुगत में लग चुके हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि अगर बहुमत ना मिले या फिर कुछ विशेष परिस्थितियां पैदा हो उस समय विधायकों की अहम भूमिका होती है. ऐसी परिस्थितियों के लिए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अभी से तैयारियों में जुट चुके हैं.
60% हमारा है बाकी में बटवारा है
पिछले दिनों मौर्य समाज के सम्मेलन में केशव प्रसाद मौर्य ने अपने समाज के लोगों को संबोधित किया और इस संबोधन के दौरान उन्होंने इशारों इशारों में यह जता दिया कि वह अधिक से अधिक अपने समाज के लोगों को टिकट दिलाने की कोशिश करेंगे और अपने लोगों को अगर टिकट मिलता है तो इसका सीधा फायदा केशव प्रसाद मौर्य को होगा यह बात वह बखूबी जानते हैं.
सम्मेलन में मंच से एक नारा भी सुनने को मिला, 60% हमारा है बाकी में बटवारा है. समाज का राग छेड़ कर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहने की कोशिश की कि, जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी. यानी पिछड़े समाज को अधिक से अधिक जोड़कर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य चुनाव के बाद बनने वाली किसी विशेष परिस्थिति के लिए खुद को आगे कर रहे हैं.
बता दें कि 2017 की चुनावी जीत के बाद बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के लिए योगी आदित्यनाथ के नाम पर पहले से कोई योजना नहीं थी. लेकिन अचानक बनी परिस्थितियों और दबाव के चलते बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को मुख्यमंत्री के लिए गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम फाइनल करना पड़ा. दबाव कहे या लोकप्रियता, लेकिन कहीं ना कहीं 2024 के प्रधानमंत्री पद के लिए भी बीजेपी समर्थकों में योगी आदित्यनाथ के नाम के चर्चे चलते रहते हैं.
The post योगी के लिए खतरे की घंटी है बीजेपी के अंदर से उठ रहा यह नारा? appeared first on THOUGHT OF NATION.
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