लाइव रिपोर्ट: दीपक पाराशरसीकर. जहां नवरात्र (Navratri)में हजारों की संख्या में भक्तों के हुजूम नजर आते थे, वहां राजस्थान के प्रसिद्ध शक्ति पीठ जीणमाता (Jeenmata in sikar)में इस बार करीब 800 साल में संभवत: पहली बार बेहद साधारण तरीके से घट स्थापना हुई। शांत माहौल में चुनिंदा पुजारियों की उपस्थिति में मां जीण के दरबार में घट स्थापना की पूजा हुई। शक्तिपीठ जीणधाम में अल सुबह मुख्य मंदिर में पूजा अर्चना के लिए कुछ हलचल नजर आई। पुजारी परिवार के प्रकाश पुजारी, रमेश पुजारी व आशीष पुजारी सुबह महाआरती से पूर्व महाशृंगार व प्रसाद की तैयारी में थे। देवी की मूर्ति के अलावा मुख्य मंदिर को भी आकर्षक फूलों से विशेष रूप से सजाया जा रहा था। महाशृंगार के साथ ही आसमानी पोशाक व ओझरिया की चूनरी से भव्य शृंगारित देवी जीण के दर्शन मंदिर ट्रस्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर ऑनलाइन करने के लिए कुछ पुजारीगण व्यवस्था करने लगे और कुछ ही क्षणों में दर्शन ऑनलाइन सुलभ हो गए। सुबह करीब 9.15 बजे मंदिर में पारम्परिक विधि से महाआरती हुई जिसमें पुजारियों के अलावा किसी और को प्रवेश की अनुमति नही थी। कुछ देर बाद मुरलीधर पुजारी,बंशीधर पुजारी,सत्यनारायण पुजारी,रमेश पुजारी एवं भगवानसिंह चौहान के सानिध्य में हुई घट स्थापना की गई। इस दौरान रामलाल पुजारी मंदिर क्षेत्र में स्थित सभी देवी-देवताओं को सिन्दुरी चोला (लेपण) अर्पित करने में व्यस्त रहे। मंदिर परिसर में ही आनंद पुजारी व अन्य पुुजारी भी पूजा-अर्चना की व्यवस्था में सहयोग करने में लगे रहे। हालांकि पूजा-विधि के सम्पन्न होते ही मंदिर में मौजूद पुजारीगण रोजाना की तरह कोरोना महामारी की जानकारी के लिए अखबारों के पन्ने पलटने लगे।
तहसीलदार व थानाधिकारी ने लिया जायजा
कुछ देर बाद नायब तहसीलदार पलसाना अपूर्व चौधरी व रानोली थानाधिकारी राजेश डूडी भी लॉकडाउन की स्थिति का जायजा लेने मंदिर क्षेत्र में आए। इस दौरान दोनों ही अधिकारी मंदिर पुजारियों व श्रद्धालुओं द्वारा लॉकडाउन के पालन के लिए दिखाई जा रही सतर्कता से संतुष्ट नजर आए। करीब दो घंटे के दौरान मात्र एक श्रद्धालु परिवार पास के गांव से मंदिर क्षेत्र में आया , लेकिन पुलिस ने समझाइश कर वापस लौटा दिया। जीणधाम के इतिहास में पहली बार चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन श्रद्धालुओं से पूर्णतया रहित नजर आया।
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