सीकर. एनएपीएस लागू होने के बाद सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को मिलने वाली राशि से कई के अरमान टूट गए है। सेवानिवृत्ति के बाद एनपीएस से कर्मचारियों के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा हैं। आराम करने के समय एनपीएस कर्मचारी निजी संस्थानों में नौकरी करने पर मजबूर हैं। 22 दिसंबर 2003 में केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर न्यू पेंशन स्कीम शुरू करने का नोटिफिकेशन जारी किया। सबसे पहले 1 जनवरी 2004 से राजस्थान सरकार ने इसे लागू किया। जबकि हिमाचल प्रदेश में 2005 में तथा त्रिपुरा में 2018 में यह स्किम लागू की गई। राजस्थान में प्रदेश के मार्च 2018 तक 3 लाख 19 हजार 898 एनपीएस कर्मचारियों सेवानिवृत्त हुए। ये है मामलाजानकारी के अनुसार राजस्थान में 1 जनवरी 2004 के बाद कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम एम्पलॉइज (एनपीएस) के तहत नियुक्त दी जा रही हैं। नौकरी के दौरान कर्मचारियों का 10 प्रतिशत और 10 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार की ओर से एनपीएस फंड में जमा होता हैं। नौकरी से कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद इस फंड में से वेतन का 60 प्रतिशत पैसा कर्मचारियों को मिलता हैं। लेकिन इसमें से भी 30 प्रतिशत पैसा कर्मचारी को इनकम टैक्स के रूप में देना पड़ता है। इसके बाद फंड का 40 प्रतिशत पैसा एलआइसी के रूप में जमा होता हैं। उसी पैसे का ब्याज प्रतिमाह कर्मचारियों को पेंशन के रूप में मिल रहा हैं। घर चलाना हुआ मुश्किलफतेहपुर ब्लॉक के रलावता पंचायत में फतेहपुरा गांव के रहने वाले शिवनाथ वर्मा फरवरी 2019 में सेवानिवृत्त हुए। फतेहपुरा के यूपीएस स्कूल से सेवानिवृत्ति के समय अंतिम वेतन के रूप में शिवनाथ को 52 हजार रुपए मिले। लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद प्रतिमाह पेंशन के रूप में 1990 रुपए मिल रहे हैं। शिवनाथ का कहना है कि वर्ष 2004 से पहले सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को वेतन की आधी पेंशन और मेडिकल सुविधा दी जा रही थी। अब वेतन की आधी पेंशन तो दूर कर्मचारियों को मेडिकल तक नहीं मिल रहा हैं। उन्होंने बताया कि मैंने 1999 में राजीव गांधी स्वर्ण जयंती स्कूल में अस्थाई पद पर 1200 रुपए मानदेय के साथ ज्वाइनिंग किया। उस समय प्रदेश में 20 हजार स्कूल खोले गए थे। वर्ष 2008 तक मानदेय 4400 रुपए तक बढ़ा। .
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