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किसान आंदोलन का यह रंग जिस पर शायद अभी तक किसी ने बात नहीं की है.

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मोदी सरकार द्वारा लाए गए या यूं कह सकते हैं कि जबरदस्ती थोपे गए, तीनों कृषि कानूनों का विरोध पहले संसद में हुआ जिसे मोदी सरकार ने नजरअंदाज कर दिया. और ध्वनि मत से देश की आंखों में धूल झोंक कर इन बिलों को पास करवा लिया. उसके बाद पंजाब हरियाणा के किसानों ने इन बिलों का विरोध शुरू किया.
जब इन बिलों का विरोध पंजाब और हरियाणा की जनता ने शुरू किया उसी समय सबसे पहले पाकिस्तानी आर्मी के एक अफसर द्वारा और कुछ पाकिस्तानी संगठनों द्वारा भारतीय किसान आंदोलन को खालिस्तान से जोड़कर, पाकिस्तान में बताया गया था. ताकि पाकिस्तान की जनता को वहां की सरकार गुमराह कर सके. पाकिस्तान की बात को हाथों-हाथ लिया भारतीय मीडिया ने और भाजपा के तमाम मंत्रियों और नेताओं ने.
भारतीय मीडिया और भाजपा के तमाम मंत्रियों और नेताओं ने भारतीय किसानों को खालिस्तानी बताना शुरू कर दिया, देशद्रोही बताना शुरू कर दिया. यह जांच का विषय है कि आखिर जिस बात को पाकिस्तान ने कहा उसी बात को भारतीय मीडिया और भाजपा के तमाम मंत्रियों ने हाथों-हाथ कैसे ले लिया? क्या पाकिस्तान और भारतीय मीडिया तथा भाजपा के मंत्रियों की कोई मिलीभगत थी, यह जांच का विषय है.
बहरहाल देश का किसान देश की तानाशाही हुकूमत के सामने चट्टान की तरह खड़ा हुआ है. जिसमें छोटे छोटे बच्चों से लेकर इस देश की बेटियां और महिलाएं तक शामिल है. देश की बेटियां और महिलाएं किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस आंदोलन को मजबूत कर रही है. किसान आंदोलन में शुरू में कहा गया कि सिर्फ पंजाब में विरोध हो रहा है, क्योंकि वहां पर कांग्रेस की सरकार है.
भारतीय किसान समिति

उसके बाद इन बिलों का विरोध बड़े स्तर पर पंजाब के साथ हरियाणा में शुरू हुआ. और देखते ही देखते कब पूरा देश इस आंदोलन के साथ खड़ा हो गया पता ही नहीं चला सरकार को और सरकार के समर्थकों को तथा गोदी मीडिया को. भारतीय किसान समिति की तरफ से भी देश के अलग-अलग हिस्सों से इस देश की बेटियां बढ़-चढ़कर इस आंदोलन को गौरवान्वित कर रही हैं, तथा मजबूती प्रदान कर रही हैं. इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी भारतीय किसान समिति की तरफ से जिस तरह से बढ़-चढ़कर इस आंदोलन को मजबूती दी जा रही है वह एक तरह से मिसाल है.

अखिल भारतीय परिवार पार्टी के चांदनी चौक लोकसभा प्रभारी श्री हेमंत कुमार भारती जी ने आज सिंघु बॉर्डर का दौरा किया, वहां पर भारतीय किसान समिति की महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे अनशन प्रोग्राम मे हेमंत कुमार भारती जी ने भी शिरकत की. और भारतीय किसान समिति की महिलाओं द्वारा किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर जो भागीदारी हो रही है उसकी सराहना की.

मौजूदा तानाशाही सरकार को लगा था कि वह कुछ किसानों के साथ मिलकर उनसे बात करके, मोलभाव करके उन्हें खरीद कर, किसान आंदोलन को दबा देंग, इस देश के किसानों की आवाज को कुचल देंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. भारतीय किसान समिति जैसे अनेक संगठन और हेमंत कुमार भारती जैसे कर्मठ लोग लगातार इस आंदोलन से जुड़कर आंदोलनकारियों के हौसले बढ़ा रहे हैं. इसलिए यह आंदोलन टूट जाएगा, बिखर जाएगा या किसान आपस में बट जाएंगे, यह सोचना भी इस सरकार की बड़ी भूल साबित हो सकती है.
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