सीकर/ झुंझुनूं. शेखावाटी (Shekhawati) में मंडावा की होली (Holi in Mandawa) काफी प्रसिद्ध (famous Holi i of shekhawati) है। जिसमें शामिल होने विदेश से भी लोग आते हैं। लेकिन, मंडावा की गिंदड़ व गेर की परम्परा पर 111 साल बाद प्रशासन ने कोरोना का डर दिखाते हुए रोक लगा दी है। इस कारण होली पर यह लोक नृत्य इस बार नहीं होगा। इस कारण कस्बेवासी मायूस हैं।उप खण्ड अधिकारी अमित यादव ने होली पर्व पर गिंदड़ (gindad)व गेर जुलूस निकालने की स्वीकृति को रद्द कर दिया। गिंदड़ व गेर हिन्दू मुस्लिम साथ मनाते आ रहे हैं। विदेशी पर्यटक (tourist)भी मंडावा की होली देखने आते हैं, लेकिन इस बार वे भी मायूस हैं। मंडावा में पिछले दिनों आए 16 पर्यटकों में कोरोना वायरस के लक्षण मिले थे।
इनका कहना है -करीब 111 साल पहले वैद्य लक्ष्मीधर शुक्ल ने श्री सर्वहितैषी व्यायामशाला संस्था के तत्वावधान अखाड़ा बनाकर होली के कार्यक्रमों के लिए लोगों को जागरूक किया। शुक्ल का प्रयास रंग लाया और यहां की होली ने शालीन व सभ्य होली का रूप ले लिया। तब से आज तक उसी परम्परानुसार होली मनाते आ रहे हैं।
– सुरेश चंद्र पालड़ीवालअध्यक्ष श्रीसर्वहितेषी व्यायाम शाला संस्था, मंडावा
सौहार्द व भाईचारे की प्रतीक
होली की गेर में हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं। गेर में प्रेम से एक दूसरे के गुलाल लगाकर होली पर्व पर साम्प्रदायिक सौहार्द व भाईचारे का संदेश देते हैं। यह परम्परा भी नई परम्परा नहीं, बल्कि कई वर्षो पूर्व से चली आ रही है। दोनों समुदाय के लोग इस परम्परा को बरकरार रखकर सौहार्द व भाईचारे की मिसाल पेश करते हैं। इस बार रोक से हर कोई मायूस है।- मोहम्मद आमीन कारी, मंडावा
विदेशी पर्यटक भी होते हैं शामिल
विदेशी पर्यटक भी गेर में शामिल होते हैं। पर्यटन नगरी में में गत तीन दशकों से विदेशी पर्यटकों के आने सिलसिला शुरू हुआ। जब से विदेशी पर्यटक भी यहां की शालीनता व सभ्यता को देखकर होली महोत्सव व गेर में शामिल होने लगे हैं। कई पर्यटक तो विशेष रूप से होली पर्व को देखने व शामिल होने के लिए ही आते है। रोक से इस बार पर्यटक भी मायूस हैं।-नरेश कुमार सोनी, पार्षद
हवेलियों पर अंकित हैं होली के रंग
मंडावा में होली पर्व को लेकर लोगों का पुराना नाता रहा है। कस्बे में 150 से 200 साल पुरानी हवेलियां होली पर्व के प्रति रहा लगाव व प्रेम की गाथा का सबूत पेश करती है। अनके हवेलियों में भितिचित्रों के रूप में देवी देवताओं के चित्रों सहित होली खेलते श्रीकृष्ण, चंग बजाती गोपियों सहित अनेक होली द्दश्यों का चित्रांकन को देखा जा सकता है।-किशोर थलिया, मंडावा
राजस्थान में यहां होली की 111 साल की परम्परा पर लगी रोक, विदेशों में भी प्रसिद्ध थी यह होली
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