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राजस्थान के सियासी रण में नया टर्न आया है, कांग्रेस के बाद भाजपा ने भी अपने विधायकों की बाड़ाबंदी शुरू कर दी

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जालौर, सिरोही और उदयपुर संभाग के करीब 12 विधायकों को अहमदाबाद के रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया है. इन विधायकों को शनिवार को सोमनाथ के दर्शन के लिए ले जाने का प्लान है.
बाकी विधायकों की बाड़ेबंदी जयपुर में करने की तैयारी है. संभवत: 12 अगस्त से यह बाड़ेबंदी शुरू होगी. 11 अगस्त से होटल वगैरह तय करने का प्लान है. हालांकि भाजपा ने ऐसी किसी प्रकार की बाड़ाबंदी को लेकर साफ इनकार किया है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, 11 अगस्त को बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर हाईकोर्ट का निर्णय आने की संभावना है. ऐसे में भाजपा भी अलर्ट मोड पर है. इसके चलते आलाकमान के निर्देश पर करीब एक दर्जन विधायकों को गुजरात शिफ्ट किया गया है.
अलग-अलग जिलों में नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. गुजरात और उदयपुर के बीच की दूरी कम है, इस वजह से इस संभाग के विधायकों को गुजरात भेजा गया है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इन विधायकों के संपर्क में हैं. उधर इस बात की भी चर्चा है कि कुछ कांग्रेसी नेताओं के भाजपा विधायकों के साथ संपर्क करने की शिकायत के बाद पार्टी ने ये कदम उठाया है.
12 अगस्त से सभी को जयपुर बुलाने की चर्चा
शेष विधायकों की भी 14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से 2-3 दिन पहले प्रशिक्षण शिविर के नाम पर बाड़ाबंदी करने की सूचना है. गुजरात गए विधायक भी जयपुर में शिफ्ट होंगे. यहां विधायकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. उधर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से शुक्रवार को हुई मुलाकात को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है. ओम माथुर भी लगातार जयपुर के दौरे कर रहे हैं.
नड्‌डा से मिलीं वसुंधरा राजे, बयानों पर जताई नाराजगी
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलीं. नड्डा से मुलाकात के दौरान वसुंधरा राजे प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर तो बात की ही, साथ ही प्रदेश में उनके खिलाफ हुई बयानबाजी पर भी नाराजगी जाहिर की. उधर केंद्र राजे को प्रदेश में सक्रिय देखना चाहता है, इसलिए कई बिंदुओं पर बात की. इनमें कई बिंदु प्रदेश के सियासी संकट से रिलेटेड रहे.
राजे ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते नड्डा के समक्ष अपनी बात रखी. पिछले दिनों कुछ नेताओं ने वसुंधरा-गहलोत की मिलीभगत के आरोप लगाए थे. राजे ने पार्टी में अलग-अलग गुट बनने की बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि संगठन को परिवार से बढ़कर माना है. अधिकांश जीवन कांग्रेस और सीएम गहलोत से लड़ाई लड़ी. ऐसी बातों से आहत होकर इन बिंदुओं पर राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात की. प्रदेश में चल रहे सियासी संकट के बीच पार्टी आलाकमान ने ही वसुंधरा राजे को दिल्ली बुलाया था ताकि प्रदेश में किसी भी कार्य को पूरा कराने में उनका सहयोग मिलता रहे.
वसुंधरा राजे एक-दो दिन में जयपुर लौट सकती है. प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा जिले के स्थानीय विधायक कही भी जाएं हमारी तरफ से कोई पाबंदी नहीं है. इस बात को कांग्रेस की बाड़ेबंदी से तुलना करने की जरुरत नहीं है. हमारे अपने लोग है उनके बारे में फिक्र करनी है. जब जरुरत रहेगी जयपुर भी बुलाएंगे. विधायक दल की बैठक भी करेंगे.
इसके अलावा आपको बता दे कि राजद्रोह, आपराधिक षडयंत्र की धाराओं में दर्ज तीनों मामलों में एसओजी द्वारा कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पेश करने के एक दिन बाद ही एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में दलाल संजय जैन के लूणकरणसर स्थित घर सहित बीकानेर और जयपुर में छापे मारे. संजय के बीकानेर जिले में लूणकरणसर स्थित घर पर एसीबी ने शनिवार सुबह छापा मारा.
एसीबी ने लूणकरणसर, बीकानेर, जयपुर समेत कई जगह छापे मारे हैं. सुबह 8.30 बजे एसीबी की टीम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश पूनिया के नेतृत्व में संजय के घर पहुंची. संजय के लूणकरणसर स्थित घर पर कोई नहीं था. इस पर एसीबी टीम ने पड़ोसियों से चाबी लेकर घर का ताला खोला. संजय यहां कम ही आता था. वह कई सालों से जयपुर शिफ्ट हो गया था. संजय अभी एसीबी की पांच दिन की रिमांड पर चल रहा है.
राज्य की कांग्रेस सरकार में जारी सियासी संकट के बीच शुक्रवार को एसओजी ने शुक्रवार को राजद्रोह, आपराधिक षडयंत्र की धाराओं में दर्ज तीनों मामलों में कोर्ट में एफआर यानी फाइनल रिपोर्ट पेश की. मतलब, इस मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, बागी विधायक भंवर लाल शर्मा एवं विश्वेंद्र सिंह और 13 निर्दलीयों को सीधे तौर पर बड़ी राहत मिल गई है.
राहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैंप में शामिल कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय को भी मिली है. क्योंकि, विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर दर्ज पहली एफआईआर में मालवीय एवं निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया के नाम का भी जिक्र था. एफआर लगाने से एसओजी की ओर से दर्ज तीनों मामले अब खत्म हो गए हैं. हालांकि, खरीद-फरोख्त से संबंधित प्रकरण की जांच एसीबी में जारी रहेगी.
एसओजी ने एफआर पेश कर दी है, लेकिन कोर्ट की मंजूरी बाकी है. ऐसे में कोर्ट तय करेगी कि एफआर मंजूर की जाये या नहीं. विधायक खरीद-फरोख्त के मामले की जांच एसीबी भी कर रही है. इसलिए, इन सभी को एसीबी की जांच का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि, एसीबी ने एक एफआईआर दर्ज की हुई है. एसओजी में दर्ज तीनों मामलों को भी एसीबी को रेफर कर दिया गया है.
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