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पत्नी ने पीएम से लगाई गुहार, कहा- थासे हाथ जोड़ विनती है, मेरा पति ने कठि से भी ढूंढ ल्याओे

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सीकर/शिश्यूं. दुख के दरिया में डूबी एक दुखिया की ये दास्तां बेहद दर्दभरी है। जिसके कलेजे में दबी कसक की कल्पना ही कलेजा मुंह तक ले आती है। लेकिन, उसी दर्द को वह बेबसी के बोझ तले 10 साल से सीने में दबाए है। जो हल्का सा कुरेदते ही आंसू के रूप में आंखों में छलछला आता है। दरसअल, रानोली का रायपुरा गांव निवासी गोपाल लाल बिलोनिया परिवार को खराब माली हालात से उबारने के लिए 2007 में पांच बच्चों सहित पत्नी विमला देवी को छोड़कर दोहा कतर कमाने गया था। लेकिन, 2011 में वह अचानक लापता हो गया। तब से कर्ज की आंच से बढ़ी कंगाली के बीच चार बेटी व एक बेटे की मां विमला मनरेगा में मजदूरी कर बच्चों का पेट लालन- पालन व पति की तलाश दोनों में जुटी है। पत्रिका की टीम भी जब विमला के घर पहुंची तो भी कच्चे मकानों में जीवन यापन कर रही विमला रुआंसी होकर रुंधे गले से पति को ढूंढ निकालने की गुहार लगाने लगी। हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री से भी प्रार्थना करते की कि ‘प्रधानमंत्रीजी मेरी परेशान्यां को कोई समाधान कोनी निकळ रह्यो। थासे हाथ जोड़कर विनती है कि मेरा पति ने कठि से भी हेर- ढूंढ ल्या द्यो ‘।
काम से नहीं लौटा वापस, दूतावास से नहीं मिला जवाबगोपाल लाल 2007 में दोहा कतर गया था। यहां मैशन एलजोल कंस्ट्रक्शन एंड ट्रेडिंग कंपनी में काम करते हुए वह 17 सितंबर 2011 को बरवा साइड सफारी माल के सामने मजदूरी पर गया था। लेकिन, शाम को वापस ही नहीं लौटा। पति की तलाश में विमला देवी व बेटा जगदीश प्रशासन व सरकार के हर स्तर पर गुहार लगा चुके हैं। 2011 में लापता हुए गोपाल के लिए 2014 में भारतीय दूतावास ने जरूर दोहा कतर दूतावास को इस संबंध में लिखा। लेकिन, अब तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है।
मजदूरी व कर्ज से की दो बेटियों की शादी, नहीं मिला योजनाओं का लाभमुफलिसी में कच्चे मकान में रहने वाली विमला ने बताया कि चार बेटी व एक बेटे में से गोपाल लाल ने एक बेटी की शादी की थी। कर्ज बढऩे पर ही वह कमाने दोहा कतर गया था। लेकिन, पति व रुपए दोनों ही नहीं आये। ऐसे में परिवार पालने के लिए उसे मजबूरी में मजदूरी करनी पड़ी। जिसकी कमाई में ही कर्ज मिलाकर बाद में दो बेटियों की शादी की। करीब तीन लाख रुपए का कर्ज अब भी सिर पर बताने वाली विमला का कहना है कि सरकारी अनाज व शौचालय तक के लिए वह दर दर भटकती रही लेकिन शासन- प्रशासन से कभी कोई मदद नहीं मिली। पांच महीने पहले बेटे जगदीश की लैब टेक्निशियन पद पर बीकानेर में नौकरी लगने पर जरूर अब परिवार की माली हालत सुधरने की उम्मीद जगी है।
पति के लौटने की आस में अब भी करती है उपवासविमला को अब भी पति के लौटने की आस है। वह कहती है कि उसे अब भी लगता है कि उसके पति कहीं से घूमते फिरते अचानक उसके सामने आ जाएंगे। अपने सुहाग की सलामती तय मानकर वह करवा चौथ सहित सुहागिनों के सारे व्रत भी कर रही है। बकौल विमला उसके पति अब भी आ जाएं तो सब ठीक हो जाएगा।

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