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संयुक्त राष्ट्र ने सिटिजन अमेंडमेंट बिल को लेकर बड़ी टिप्पणी की है

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सिटिजन अमेंडमेंट बिल देश भर में मचे हंगामे के बीच 11 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो गया था. लोकसभा में पहले ही यह पारित हो चुका था.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने जिनेवा में मीडिया ब्रीफिंग में कहा भारत का नागरिकता संशोधन बिल (2019) मूल रूप से भेदभावपूर्ण है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन बिल को मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार दिया है. इसके साथ ही यूएन ने यह भी कहा है कि अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनकी निगाहें टिकी हैं. मानव अधिकारों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र के संगठन ने यह टिप्पणी की है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने जिनेवा में मीडिया ब्रीफिंग में कहा भारत का नागरिकता संशोधन बिल (2019) मूल रूप से भेदभावपूर्ण है.यूएन इस बिल पर जारी गतिरोध को लेकर चिंतित है.यह नया कानून मुस्लिमों को वह अधिकार नहीं देता जो अन्य 6 धर्मों को धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर दिया जा रहा है.ऐसे में यह कानून भारत के समानता के अधिकार पर भी सवाल खड़े करता है.

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उन्होंने आगे कहा हम समझते हैं कि नए कानून की भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा की जाएगी और आशा है कि कोर्ट भारत के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के साथ-साथ इस कानून की अनुकूलता पर ध्यान से विचार करेगा. इस कानून के खिलाफ असम, त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में पिछले दो दिनों से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. असम के गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी में बृहस्पतिवार को दो लोगों की मौत हो गई.

राज्यसभा में कांग्रेस ने पूर्वोत्तर राज्यों में बिल के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों का मुद्दा उठाया और सरकार से तत्काल एक सर्वदलीय बैठक तथा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला कर स्थिति का समाधान निकालने तथा पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को भरोसे में लेने की मांग की.

बता दें कि इस बिल पर गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तख्त कर दिए जिसके बाद यह कानून का रूप ले चुका है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

असम में विरोध सबसे तेज है.यहां प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इस बीच, सरकार की ओर से यह लगातार कहा जा रहा है कि इस बिल से पूर्वोत्तर के लोगों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा. राज्यसभा में बिल के पास होते ही असम समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया था.

अब यह और उग्र हो गया है. असम के मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि स्थानीय लोगों के अधिकारों को आंच नहीं आने दी जाएगी. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एक विडियो जारी कर लोगों से अपील की है कि उन्हें नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अपनी परंपरा, संस्कृति, भाषा, राजनीतिक और जमीनी अधिकारों को लेकर कतई भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि असम समझौते की की धारा 6 के तहत उनके अधिकारों की पूरी रक्षा की जाएगी.

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