आईएनएक्स मीडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को जमानत देते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की दलीलों की धज्जियां उड़ा दी है. पी. चिदंबरम की तरफ से दाखिल की गई बेल अर्जी के विरोध में सीबीआई ने जो दलीलें पेश की है उसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय संतुष्ट नहीं हुआ.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की उस दलील में भी कोई दम नहीं पाया जिसमें यह कहा गया था कि, चिदंबरम को अगर जमानत मिलती है तो वह केस से संबंधित गवाहों को अपनी तरफ से प्रभावित कर सकते है.
आपको बताते चलें कि आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है सीबीआई के केस में पी. चिदंबरम को एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिली है.
आपको बताते चलें कि सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार के मामले में देश के पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और वह 5 सितंबर से न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में हैं. हालांकि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की हिरासत में होने के चलते अभी वह 14 अक्टूबर तक तिहाड़ जेल में रहेंगे.
आपको बताते चलें कि 17 अक्टूबर को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ के बाद चिदंबरम को गिरफ्तार किया था,जिन्हें 1 हफ्ते के लिए ईडी की रिमांड पर भेजा गया है.
जस्टिस आर. भानुमति, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ में कहा कि, दिल्ली उच्च न्यायालय के निष्कर्ष, जिसमें चिदंबरम की जमानत याचिका को इस आधार पर महज खारिज किया गया कि,वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, यह किसी भी तरह तथ्यों को पुष्ट नहीं करता है और यह सिर्फ एक आम धारणा बनाने और विशुद्ध रूप से काल्पनिक सोच को दर्शा रहा है.
पीठ ने कहा है कि, याचिकाकर्ता कोई प्लास्टिक रिस्क यानी फरार होने वाले नहीं है और चिदंबरम पर लगाई गई शर्तों के मद्देनजर ट्रायल से भागने की कोई संभावना ही नहीं है. अभियोजन पक्ष का बयान कि, अपील करता ने गवाहों को प्रभावित किया है और आगे भी उसके द्वारा प्रभावित होने की संभावना है यह जमानत देने से इनकार का आधार नहीं हो सकता है.
जजों की पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता और सह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र 18-10-2019 को दायर किया गया अपील करता 21-8-2019 से लगभग 2 महीने के लिए हिरासत में है. सह आरोपियों को पहले ही जमानत दे दी गई थी.
अपीलकर्ता की आयु 74 वर्ष बताई गई है और यह भी कहा जाता है कि यह स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है. उपरोक्त कारणों और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हमारा विचार है कि, याचिकाकर्ता जमानत हासिल करने का हकदार है.
यह भी पढ़े : कानूनी संरक्षण के बावजूद अल्पसंख्यकों पर भारत में हो रही हैं हिंसा और भेदभाव की घटनाएं: अमेरिका
Thought of Nation राष्ट्र के विचार
The post सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों के चिथड़े उड़ाते हुए पी. चिदंबरम को जमानत दी है appeared first on Thought of Nation.