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हरा सोना उगलने वाली माटी की सेहत हो रही है खराब

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सीकर. ‘हरा सोना’ उगलने वाली खेतों की उपजाऊ मिट्टी बंजर हो रही है और अमृत कहा जाने वाला जल शरीर को रोग ग्रस्त कर रहा है। जिले का 40 प्रतिशत से अधिक भूमिगत जल लवणीय और क्षारीय हो चुका है। हम धीमा जहर खा रहे हैं! यह जहर कीटनाशकों के जरिए अनाज, फल और सब्जियों में शामिल हो चुका है। खेतों में पैदा होने वाले धान में रसायनिक उर्वरकों की इतनी मात्रा मिलाई जा रही है जो मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। इस जल से लगातार सिंचाई करने से एक चौथाई से अधिक भूमि बंजर हो गई। वहीं मिट्टी का पीएच मान निर्धारित मानक से अधिक हो गया है। परिणामत: मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ और उपजाऊ क्षमता समाप्त हो रही है। 5 हजार 500 हैक्टेयर भूमि लवणीय और 30 हजार हैक्टेयर भूमि क्षारीय चिन्हित की गई थी। इसमें से 15 हजार हैक्टेयर भूमि पूरी तरह से बंजर हो चुकी है। सबसे अधिक खराब स्थिति फतेहपुर और लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र की है। दांता क्षेत्र के कुछ गांव की भूमि भी धीरे-धीरे बंजर हो रही है।ऐसे होती है मिट्टी खराबलवण-क्षार युक्त जल से सिंचाई करने पर मिट्टी में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है। परिणाम स्वरूप मिट्टी के कण छोटे-छोटे कणों में बंट जाते हैं। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में हवा और पानी की पूर्ति भी नहीं हो पाती और परत ठोस हो जाती है। ऐसे खेतों में लगातार सिंचाई करने से परत कठोर हो जाती है। बाद में जुताई करना मुश्किल हो जाता है। एक शोध के अनुसार हम प्रतिवर्ष सवा किलो उवर्रक व तीस एमएल कीटनाशी हमारे में शरीर में चला जाता है। यह हम नहीं कृषि विभाग से जिले में होने वाली उर्वरक और कीटनाशी की खपत के आंकडे से हो रही है। इसका नतीजा है कि प्रत्येक दसवां किसान पेट संबंधी बीमारी व अवसाद की स्थिति में आ जाता है। कीटनाशी व उवर्रक के अंधाधुंध प्रयोग से प्रतिवर्ष ५० हेक्टेयर तक भूमि बंजर हो रही है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो यदि खपत का आंकड़ा इस प्रकार बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में पीने का पानी भी जहरीला हो जाएगा।प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदारकीटनाशकों से जल प्रदूषण भी बढ़ रहा है। प्रदूषित जल से फल और सब्जियों का उत्पादन तो बढ़ जाता है, लेकिन इनके हानिकारक तत्व फलों और सब्जियों में समा जाते हैं। सब्जियों में पाए जाने वाले कीटनाशकों और धातुओं पर भी कई शोध किए गए हैं। एक शोध के मुताबिक सब्जियों में जहां एंडोसल्फाइट एचसीएच एवं एल्ड्रिन जैसे कीटनाशक मौजूद हैं, वहीं केडमियम, सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं भी शामिल हैं। ये कीटनाशक और धातुएं शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। सब्जियां तो पाचन तंत्र के जरिए हजम हो जाती हैं, लेकिन कीटनाशक और धातु शरीर के संवेदनशील अंगों में एकत्र होते रहते हैं। यही आगे चलकर गंभीर बीमारियों की वजह बनती हैं।

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