- Advertisement -
HomeNewsयोगी सरकार के नये मंत्रियों का एक ही विभाग है!

योगी सरकार के नये मंत्रियों का एक ही विभाग है!

- Advertisement -

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने आखिरकार उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार कर ही लिया और ये भी साफ हो गया कि योगी ने अपनी ही टीम बनायी है, न कि मोदी-शाह या बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की संस्तुति से किसी को कैबिनेट में लिया है. बस ये समझ में नहीं आया कि जब तीन महीने के लिए ही मंत्री बनाने थे तो अरविंद शर्मा के नाम पर योगी आदित्यनाथ को नो-एंट्री लगाकर क्या मिला?
अरविंद शर्मा को भी मंत्री बना देते तो कम से कम बातें जरूर होतीं. एक तो कोरोना संकट में वाराणसी मॉडल के जरिये उनके काम को लेकर टोकेन ऑफ थैंक्स हो जाता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात की अवहेलना से भी बच जाते. अभी योगी आदित्यनाथ ने जो वैमनस्यता मोल ली है उसका असर साफ साफ दिखायी देने लगा है. बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्या की सक्रियता योगी आदित्यनाथ के लिए यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष अरविंद शर्मा से ज्यादा खतरनाक साबित होने जा रही है.
एक भी छोटी सी चूक भारी पड़ सकती है. जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को लेकर भी असमंजस लगने लगा था, लेकिन मायावती के ब्राह्मण सम्मेलन ने लगता है उनका मंत्री पद पक्का हो गया और बाकियों को तो जातीय समीकरणों के तहत लगता है जैसे गुलदस्ते में सजा कर पेश किया गया हो – ऐसे में जबकि चुनाव (UP Election 2022) की तारीख आने में ज्यादा से काफी कम वक्त बचा है, सवाल ये है कि नये नवेले मंत्री काम क्या और कितना कर पाएंगे?
मंत्रियों के जिम्मे काम क्या होगा?
जितिन प्रसाद पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी बना कर भेजे गये थे और लौटे तो कांग्रेस की बजाये बीजेपी दफ्तर पहुंच गये. भगवा धारण किया और मंत्री बनाये जाने की चर्चा शुरू हो गयी. केंद्र में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री रह चुके जितिन प्रसाद अब योगी सरकार में भी मंत्री बन गये हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में वो अकेले कैबिनेट मिनिस्टर बने हैं.
कांग्रेस में रहते जितिन प्रसाद यूपी में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जाने जाते रहे और ब्राह्मणों के बीच पार्टी की पैठ बढ़ाने के लिए लगातार काम भी कर रहे थे, लेकिन G-23 नेताओं के साथ में शुमार थे जिन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर निशाने पर आ गये थे. जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद को भी सोनिया गांधी के खिलाफ बगावत करने के लिए ज्यादा याद किया जाता है.
शाहजहांपुर से आने वाले जितिन प्रसाद कभी राहुल गांधी की युवा टोली के सक्रिय सदस्य हुआ करते थे, लेकिन चिट्ठी पर दस्तखत करने के बाद वो कांग्रेस नेतृत्व और करीबियों के निशाने पर आ गये थे. 2019 के आम चुनाव के दौरान ही जितिन प्रसाद के बीजेपी ज्वाइन करने की जोरदार चर्चा रही, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने मिल कर तब मना लिया था. योगी आदित्यनाथ सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार छह महीने पहले ही हो चुका होता, लेकिन तब शायद वो पूरी तरह अपनी टीम नहीं बना पाये होते.
अब जो लोग मंत्री बने हैं उनके सामने तो छह महीने से भी कम का कार्यकाल बचा है. जो विधायक मंत्री बने हैं उनको तो अभी अपने विभागों के काम समझने का मौका मिलेगा तब तक चुनावी माहौल जोर पकड़ लेगा और जब तक कामकाज की समझ हो पाएगी, चुनाव आयोग मतदान की तारीखों की घोषणा के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू कर देगा. ऐसे में नये जो भी मंत्री है उनकी जिम्मेदारी सरकारी कामकाज के मुकाबले बीजेपी के चुनाव प्रचार की ही ज्यादा होनी लगती है.
जितिन प्रसाद तो पहले से ही बड़ा चेहरा रहे हैं, ऐसे में जब यूपी चुनाव 2022 के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची बनती, निश्चित रूप से उनको भी शामिल किया ही जाता. लेकिन बाकी जो विधायक थे वे तो बस अपने इलाके तक सीमित रहे होंगे. अब मंत्री बन जाने के बाद उनकी भी अहमियत बढ़ जाएगी. अब से वो अपने इलाके में विधायकजी की जगह मंत्री जी कहलाने लगेंगे और उनकी बातों का असर भी पहले के मुकाबले ज्यादा होगा.
मायावती-अखिलेश के खिलाफ टास्क फोर्स?
योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के जिन नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया है, ऐसा लगता है जैसे अखिलेश यादव और मायावती के खिलाफ कोई टास्क फोर्स बना रहे हों, जो सात मंत्री बनाये गये हैं उनमें जितिन प्रसाद ब्राह्मण हैं और बाकी या तो ओबीसी कैटेगरी से आते हैं या फिर दलित समुदाय से. ब्राह्मण और दलित मंत्री मायावती को काउंटर करेंगे और ओबीसी कोटे वाले अखिलेश यादव को.
मायावती को घेरने के लिए बीजेपी ने जितिन प्रसाद से पहले बेबी रानी मौर्य को भी मैदान में उतार दिया है – और जो नये मंत्री बने हैं वे मिल जुल कर अखिलेश यादव और मायावती से चुनावी मोर्चे पर भिड़ेंगे. जितिन प्रसाद के अलावा जिन लोगों को शपथ दिलाई गई है, वे हैं- छत्रपाल गंगवार, पलटू राम, संगीता बलवंत बिंद, संजीव कुमार गोंड़, दिनेश खटीक और धर्मवीर सिंह प्रजापति. जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री जबकि बाकियों को राज्‍य मंत्री बनाया गया है और इस तरह योगी कैबिनेट में एक ब्राह्मण, दो दलित, एक एसटी और तीन ओबीसी नेताओं को शामिल कर लिया गया है.
अब तक योगी सरकार में 23 कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार वाले नौ राज्य मंत्री और 21 राज्य मंत्री सहित कुल 53 मंत्री हुआ करते थे. 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में नियमों के अनुसार 60 मंत्री हो सकते हैं, लिहाजा सात खाली पड़े पदों को भी अब भर दिया गया है. माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने नये मंत्रियों को जिस तरह जातीय समीकरणों में फिट करने की कोशिश की है, साफ है कि चुनावों को देखते हुए हर वोट बैंक को ये मैसेज देने की कोशिश है कि सरकार में उनको भी प्रतिनिधित्व दिया गया है.
लेकिन सवाल तो ये भी उठेगा ही कि ऐसा ही करना था तो चुनावों से ऐन पहले करने का क्या मतलब? अगर यही काम पहले किया गया होता तो उसका मतलब भी होता. बीजेपी की ही केंद्र सरकार एक तरफ जातीय समीकरण पर जनगणना से परहेज कर रही है और दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में विस्तार में जातीय समीकरणों का ध्यान रखा जा रहा है. केंद्र सरकार एक तरफ ओबीसी बिल लाकर अलग मैसेज दे रही है और सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना न कराने को नीतिगत फैसला बता रही है.
कैबिनेट विस्तार के जरिये या राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हालिया यूपी दौरों का फायदा उठाकर बीजेपी चाहे जिन वोट बैंक को टारगेट क्यों न करने में जुटी हो, लेकिन ये सब तो खाने के दांत ही लगते हैं. पश्चिम बंगाल चुनावों में हार की वजह मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण बताने के बाद बीजेपी ये तो स्पष्ट कर ही चुकी है कि आने वाले चुनाव में वो श्मशान-कब्रिस्तान 2.0 के साथ ही उतरने वाली है और उसके आगे तो सब फेल है.
The post योगी सरकार के नये मंत्रियों का एक ही विभाग है! appeared first on THOUGHT OF NATION.

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -