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शेखावाटी का सबसे बड़ा अस्पताल फिर भी सात माह से ब्लड कंपोनेंट यूनिट बंद

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सीकर. सरकारी कार्यशैली का नतीजा है कि एक ओर सरकार ने डेंगू और स्वाइन फ्लू को अधिसूचित बीमारी घोषित किया हुआ है वहीं सरकार जिले के हजारों मरीजों की अनदेखी कर रही है। इसकी बानगी है कि करोडों की मशीन और लम्बा चौडा लवाजमा होने के बाद भी शेखावाटी के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में बने ब्लड कंपोनेंट सेंटर में पिछले सात माह से कंपोनेंट नहीं बनाए जा रहे हैं। अनदेखी का हाल यह है कि कंपोनेंट यूनिट के लिए अनिवार्यता के बावजूद सरकार यहां एक तकनीकी कर्मचारी तक नहीं लगा पाई है। जिससे ब्लड कंपोनेंट यूनिट काम नहीं कर रही है और प्लेटलेट की कमी से जूझ रहे मरीजों की जेब से हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं। ऐसे में जानलेवा बनी इन बीमारियों की रोकथाम के दावे फेल साबित हो रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष सितम्बर माह में एसके अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट यूनिट की शुरूआत हुई थी।
रैफर मरीजों को होता फायदा एसके अस्पताल में सीकर, चूरू, झुंझुनूं व नागौर जिले के मरीज उपचार के लिए आते हैं। छह यूनिट से कम ब्लड होने पर सिंगल डोनर प्लेटलेट मिलने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है और उसे रैफर नहीं करना पड़ता लेकिन अस्पताल में यह सुविधा नहीं होने से मरीज को रेफर किया जाता है या मरीज को निजी अस्पतालों में डेढ से दो हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं।
ऐसे होता फायदाएसके अस्पताल में रोजाना औसतन 20 यूनिट रक्त संग्रहित होता है। ब्लड कंपोनेंट शुरू करने के लिए विशेष विधि से एक यूनिट ब्लड से प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, लाल रक्त कणिकाएं और ग्रेनुलोसाइट कंसंट्रेट को अलग-अलग किया जा सकता है। एक यूनिट को चार भाग होने से डेंगू, स्वाइन फ्लू व एनीमिया के मरीजों के काम में आ सकता है। एसके अस्पताल के आंकडों के अनुसार पिछले सात माह में करीब 5500 से ज्यादा मरीज प्लेटलेट और प्लाजमा के लिए जयपुर या दूसरे शहरों में गए हैं जहां इन मरीजों को लाखों रुपए अतिरिक्त देने पड़े जबकि एसके अस्पताल में यह सुविधा सुचारू रहती तो निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को एक आरडीपी चार सौ रुपए और एक एडीपी के लिए साढ़े सात हजार देने पड़ते हैं। जबकि सरकारी अस्पताल में भर्ती या भामाशाह कार्ड धारक के लिए यह सुविधा निशुल्क है।
इसलिए शुरू हुई कंपोनेंट यूनिटडेंगू सरीखी बीमारी में प्लेटलेट्स के लिए साढ़े नौ हजार से 12 हजार रुपए तक लिए जाते हैं। वहीं झुलसे और ज्यादा ब्लीडिंग होने पर मरीज को प्लाज्मा की जरूरत होती है। इस प्रकार के मरीजों को राहत देने के लिए ब्लड कंपोनेंट यूनिट शुरू की गई थी। सुविधा बंद होने से निजी हॉस्पिटलों में मरीज को इस सुविधा के लिए 1500 रुपए वसूले जाते हैं।
इनका कहना हैफिलहाल मौसमी बीमारियां बढ़ती जा रही है। डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं ऐसे में सरकार की ओर से ब्लड कंपोनेंट यूनिट के बंद होने से इन मरीजों की परेशानी बढ़ी है। आने वाले दिनों में स्वाइन फ्लू भी बढ़ेगा। समस्या के बारे में अधिकारियों को अवगत करा दिया है।- डा. अशोक चौधरी, पीएमओ एसके अस्पताल सीकर

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