केंद्र सरकार ने 6 रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है, लेकिन कई किसान संगठन इससे ज्यादा खुश नहीं हैं.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि उपज की खरीद के बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ोतरी की कोई सार्थकता नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन 16 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है उनकी पूरी खरीद नहीं होने से किसानों को उपज औने-पौने दामों में बेचनी पड़ती है.
साथ ही एमएसपी अब भी लागत की डेढ़ गुनी कीमत के मुताबिक नहीं है. रामपाल जाट ने कहा कि रबी की 6 उपजों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर केंद्र सरकार द्वारा स्वयं की पीठ थपथपाने की सार्थकता तब ही है जब वह इन उपजों के दाने-दाने की खरीद ग्राम स्तर पर सालभर चालू रखे.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक साल में खेती के काम आने वाले डीजल में 1 लीटर पर ही 15 रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. जबकि 1 किलो गेहूं पर एमएसपी बढ़ोतरी 50 पैसे ही हुई है. गेंहू में 50 रुपये, जौ में 75 रुपये, सरसों और चना में 225 रुपये, मसूर में 300 रुपये और कुसुम में 112 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है.
रामपाल जाट के मुताबिक पिछले साल की लागत के आधार पर यह बढ़ोतरी सम्पूर्ण लागत के डेढ़ गुणा से काफी कम है. गेंहू पर 162 रुपये 50 पैसे, जौ पर 420 रुपये 50 पैसे , चना पर 934 रुपये 50 पैसे, सरसों पर 451 रुपये 50 पैसे, मसूर पर 1329 रुपये और कुसुम पर 1562 रुपये 50 पैसे कम है. खास बात यह भी है कि इनमें से चना, सरसों, मसूर और कुसुम के कुल उत्पादन में से 75% उपज को तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की परिधि से ही बाहर किया हुआ है.
किसान महापंचायत से जुड़े किसान नेताओं का कहना है कि साल 2108 में शुरू की गई इस योजना का नाम तो प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान रखा हुआ है, लेकिन हकीकत यह है कि किसानों की आय पर कुल्हाड़ी चलाने का काम हो रहा है. रामपाल जाट के मुताबिक खरीफ फसलों में जिन 16 उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है.
उनकी खरीद नहीं होने से किसानो को अपना बाजरा 1100 रुपये प्रति क्विंटल से कम दामों में बेचना पड़ रहा है, जबकि इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 रुपये प्रति क्विंटल घोषित है. देश का आधे से ज्यादा बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है. इस साल भी राजस्थान में 43.64 लाख मीट्रिक टन बाजरा उत्पादन का अनुमान है.
इसके अलावा आपको बता दे कि पुरे देश में बिल को लेकर किसानों में गुस्सा है. आज हरियाणा में पानीपत अनाज मंडी से दिल्ली के लिए ट्रैक्टर यात्रा लेकर निकले सैकड़ों किसानों और कांग्रेस यूथ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने समालखा में रोक लिया. पुलिस ने पहले उन्हें दिल्ली की तरफ न बढ़ने के लिए समझाया. लेकिन जब वे नहीं माने तो वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया और उनपर पानी की बौछार की.
केंद्र सरकार द्वारा कृषि अध्यादेश पास किए जाने के विरोध में बुधवार को हरियाणा युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता ट्रैक्टर लेकर पानीपत अनाज मंडी में इकट्ठा हुए. वे यहां से दिल्ली के लिए निकले थे. जैसे ही पानीपत के समालखा पहुंचे तो पुलिस ने समालखा अनाज मंडी के पास बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक लिया. पुलिस ने पहले तो उनसे बातचीत की लेकिन वे नहीं माने. कांग्रेसियों ने बैरीकेड तोड़कर आगे जाने का प्रयास किया तो पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल करते हुए भीड़ को तितर-बितर किया.
युवा कांग्रेस के प्रधान सचिन कुंडू ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से पास किए गए तीन किसान विरोधी अध्यादेशों से प्रदेश का युवा व किसान वर्ग निराश है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सड़क से लेकर संसद से कांग्रेस पार्टी निर्णायक जंग लड़ रही है. आज पूरे देशवासियों ने खेती और मंडी विरोधी भाजपा को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प एकमात्र ध्येय बना लिया है.
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