सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में रविवार को दो बेटियों सहित माता- पिता की आत्महत्या योजनाबद्ध तरीके से किया जाना सामने आया है। घर में आरसीसी की छत होने की वजह से गाटर नहीं था। लेकिन, परिवार ने सामूहिक आत्महत्या के लिए कमरे मेें गाटर लगवाया। फंदे की रस्सी भी बिल्कुल नयी लाना बताया जा रहा है। ऐसे में अनुमान है कि परिवार लंबे समय से ही सामूहिक आत्महत्या की योजना पर काम कर रहा था। जिसे रविवार को अंजाम दिया गया। गौरतलब है कि सीकर शहर के राधाकिशनपुरा में पुरोहितजी की ढाणी में हनुमान सैनी (45) ने पत्नी तारादेवी (40) और दो बेटियों पूजा (22) व अन्नु (20) के साथ फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली थी। जिसकी जानकारी घर में दूधवाले के आने पर हुई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने चारों के शव को फंदे से उतारकर एसके अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया था। जहां पोस्टमार्टम के बाद चारों का अंतिम संस्कार सोमवार को होगा।
सुबह उठकर घर का सारा काम कियापरिवार के लोगों ने सुबह उठकर घर का सारा काम किया। हनुमान बाहर जाकर दूध भी लेकर आए थे। वे नहा धोकर कपड़े भी सुखाए थे। सभी ने मिलकर खाना भी खाया था। रसोई में पुलिस को बना हुआ खाना भी रखा हुआ मिला। दोपहर बाद परिवार के लोगों ने बाहर के दरवाजे को बंद किया। इसके बाद कमरे को बंद कर लोहे के गाटर पर रस्सी का फंदा लगाया। कमरे में पुलिस को पलंग पड़ा हुआ मिला। साथ ही बड़ी सीढ़ी भी रखी हुई मिली।
दोनों बेटियां पढऩे में होशियारपड़ोस के लोगों ने बताया कि पूजा और अन्नू दोनों की पढऩे में काफी होशियार थी। पूजा एमएससी और अन्नू बीएससी कर रही थी। परिवार के अन्य आसपास ही रहते हंै। मदनलाल सैनी के छोटे भाई गोपाल सैनी थे। उनके तीन लड़के हनुमान, घनश्याम सैनी, सुरेश थे। तीनों का परिवार आसपास ही रहता था।
सुसाइड नोट में ये लिखा’मैं हनुमान प्रसाद सैनी मेरी पत्नी तारा देवी व दो बेटियां पूजा व अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं कि हमारे पुत्र अमर का स्वर्गवास दिनांक 27/9/20 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की कोशिश की। लेकिन जीया नहीं जाता उसके बगैर। इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला किया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था, वही नहीं तो हम यहां क्या करेंगे। घर में किसी चीज की कमी नहीं है। जमीन है, घर है, दुकान है, नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी पुत्र की है। उसके बिना सब बेकार है। हमारे घर किसी का कोई कर्ज बाकी नहीं है। प्रशासन से निवेदन है किसी भी परिवारजनों को परेशान नहीं करें। यह हमारा अपना फैसला है।’
छोटे भाई के नाम लिखा ये संदेश ‘सुरेश, हम सब का अंतिम संस्कार अपने परिवार की तरह करना। (कबीर पंथ) की तरह मत करना। सब अपने रीति रिवाज से करना और अमर का कड़ा व उसके जन्म के बाल हमारे साथ गंगा में बहा देना। अमर की फोटो के पास सब सामान रखा है। सुरेश मेरे ऊपर किसी का कोई रुपया पैसा बाकी नहीं है।’
परिवार ने फांसी के लिए लगवाया नया गाटर, सामूहिक भोज के बाद लगाया मौत को गले
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