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राजस्थान में बोर्ड कक्षाओं के अंक के लिए बनी कमेटी, सात दिन में तय होगा खाका

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सीकर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं रद्द होने के बाद अब सरकार अंक निर्धारण की नीति को अंतिम रूप देने में जुट गई है। सरकार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर शिक्षाविद् और निजी स्कूल संचालकों को शामिल करते हुए एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। प्रदेश में इसी आधार पर 10 वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की मार्किंग होगी। इस संबंध में शुक्रवार को प्रमुख शासन सचिव ने आदेश जारी कर दिए। समिति में माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी को अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया है। शासन उप सचिव रामानन्द शर्मा, शासन उप सचिव अनिता मीना, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् की संयुक्त निदेशक ममता दाधीच, उदयपुर स्थित आरएससीईआरटी के प्रोफेसर ललित शंकर आमेटा, माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक अरुण शर्मा, जयपुर के जिला शिक्षा अधिकारी रामचंद्र पिलानिया, जयपुर की महात्मा गांधी स्कूल की प्रधानाचार्य अन्नू चौधरी, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी प्रमोद कुमार चमोली को शामिल किया गया है। वहीं शिक्षाविद् के तौर पर सुदर्शन कुलहार व निजी स्कूल प्रतिनिधि के तौर पर शिक्षा मंत्री के गृह जिले सीकर से रामनिवास ढाका को सदस्य बनाया गया है।
कमेटी के सामने यह बड़ी चुनौतीसीबीएसई ने 10 वीं व 12 वीं कक्षओं के प्री-बोर्ड एग्जाम पिछले सत्र में लिए थे। लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हो सका था। ऐसे में राजस्थान बोर्ड के अंक निर्धारण के लिए नियम बनाना काफी चुनौतीपूर्ण है। सूत्रों की मानें तो तीन साल के अंकों को आधार मानते हुए कोई फॉर्मूला बनाया जा सकता है।
खुद शिक्षा मंत्री भी कह चुके, अंक निर्धारण का काम तलवार पर नाचने जैसा
पांच दिन पहले शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा भी अंक निर्धारण पॉलिसी के बारे में खुलकर बोल चुके हैं। उन्होंने कहा कि कक्षा दसवीं व बारहवीं के अंकों से विद्यार्थियों का कॅरियर जुड़ा रहता है। नीट, जेईई से लेकर दिल्ली व दुनिया के अन्य विवि में प्रवेश के लिए प्वॉइंट के आधार पर प्रवेश का सपना टूट जाता है। ऐसे में अंक निर्धारण की पॉलिसी बनाना तलवार पर नाचने जैसा कठिन काम है। इसके बाद शिक्षा विभाग ने सभी वर्गों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए कमेटी गठित की है।

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