उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में जब से महा विकास अघाडी की सरकार बनी है, मुख्यमंत्री और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ वही प्रचार सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा है, जो आज तक कांग्रेस के ख़िलाफ़ चलाया जाता था. मतलब कि पाकिस्तान परस्त, हिंदू विरोधी, गद्दार बताना वग़ैरह-वग़ैरह.
सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण में जिस तरह ठाकरे सरकार दक्षिणपंथियों और कुछ न्यूज़ चैनलों के निशाने पर रही, उससे शिव सेना में खासी नाराजगी थी. इसके अलावा बाकी कसर केंद्र सरकार से वाई श्रेणी की सुरक्षा हासिल करने वाली सिने अदाकारा कंगना रनौत ने पूरी कर दी. उन्होंने ठाकरे सरकार के ख़िलाफ़ शब्दों की मर्यादा से परे जाते हुए ट्वीट किए.
लेकिन लगता है कि ठाकरे सरकार अब इस तरह की हरक़तों को बर्दाश्त नहीं करेगी. पहले कंगना के दफ़्तर में हुए अवैध निर्माण पर बीएमसी ने बुलडोजर चलाया फिर न्यूज़ चैनल रिपब्लिक टीवी की संपादकीय टीम के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर शिव सेना ने चेता दिया था कि उल-जूलूल बकवास करने वाले लोग बाज़ आ जाएं लेकिन फिर भी ऐसा होना जारी है.
अब नागपुर में बीजेपी की आईटी सेल के एक सदस्य को महाराष्ट्र पुलिस ने उद्धव ठाकरे और आदित्य के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया है. इस शख़्स का नाम समीत ठक्कर है.समीत ठक्कर के ट्विटर पर 58 हज़ार फ़ॉलोवर हैं और खास बात यह है कि इस शख़्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फ़ॉलो करते हैं. ठक्कर को नागपुर और मुंबई पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया.
मुंबई मिरर के मुताबिक़, ठक्कर के ख़िलाफ़ 2 जुलाई को नागपुर के वीपी रोड पुलिस थाने में एफ़आईआर दर्ज कराई गई थी. एफ़आईआर में कहा गया है कि ठक्कर ने उद्धव और आदित्य के अलावा महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत के ख़िलाफ़ भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. ठक्कर ने गिरफ़्तारी से बचने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का रूख़ किया था और एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की थी.
इस मामले में 1 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि ठक्कर वीपी रोड पुलिस थाने में जाकर अपना बयान दर्ज कराएं. मुंबई मिरर के मुताबिक़, ठक्कर अपने दो वकीलों के साथ 5 अक्टूबर को थाने पहुंचे. उस दौरान वहां मुंबई पुलिस की साइबर सेल की टीम भी मौजूद थी. लेकिन ठक्कर ने वाश रूम जाने का बहाना बनाया और वहां से ग़ायब हो गए.
अदालत में 9 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान ठक्कर ने कहा कि वह गिरफ़्तारी के डर से भाग गए थे. अदालत ने उनसे कहा कि वह 16 अक्टूबर को फिर से थाने जाएं लेकिन ठक्कर नहीं पहुंचे. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की और उन्हें गिरफ़्तार कर लिया. नागपुर के एक स्थानीय शिव सैनिक ने भी ठक्कर के ख़िलाफ़ पुलिस थाने में केस दर्ज किया हुआ है.
ठक्कर की गिरफ़्तारी के बाद बीजेपी सक्रिय हो गई है. समुदाय विशेष के प्रति कई बार विवादित बयान दे चुके बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, उत्तर प्रदेश से बीजेपी के विधायक दिनेश चौधरी सहित कई बीजेपी नेताओं ने ट्विटर पर हैशटैग #ReleaseSameetThakkar चलाया और लिखा कि ठक्कर को रिहा किया जाए.
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