कीटनाशक को लेकर कुछ भयावह फैक्ट:-पहला-कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से खेती की भूमि हो रही है बंजरदूसरा-लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है प्रतिकुल प्रभावतीसरा-सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पिछले डेढ़ दशक में 1.14 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर हो गई है। कृषि विभाग के 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार कृषि योग्य भूमि घटकर 7.01 लाख हेक्टेयर पर आ गई है। रबी व खरीफ सीजन में उर्वरक व कीटनाशक की खपत मीट्रिक टन मेंकीटनाशक – 30 पीजीएमउर्वरक- 45 हजार मीट्रिक टनयूरिया- नौ लाख बैगडीएपी व पोटाश- 2,50,000 बैगसुपर फास्फेट – 50,000 बैगयह आंकडे केवल सीकर के हैं। इतना कीटनाशक तो केवल सीकर में उपयोग किया जा रहा है। राज्य और देश के हालात तो और भी भयावह ही होंगे। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश के मुताबिक सही मात्रा में किया जाए तो खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म होने लगती है और इससे इंसानों के अलावा पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। फसलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल की एक निश्चित मात्रा तय कर देनी चाहिए, जो स्वास्थ्य पर विपरीत असर न डालती हो। मगर सवाल यह भी है कि क्या किसान इस पर अमल करेंगे। 2005 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने केंद्रीय प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला के साथ मिलकर एक अध्ययन किया था। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में उगाई गई फसलों में कीटनाशकों की मात्रा 15 से लेकर 605 गुना ज्यादा पाई गई। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी में कीटनाशकों के अवशेषों का होना भविष्य में घातक सिद्ध होगा, क्योंकि मिट्टी के जहरीला होने से सर्वाधिक असर केंचुओं की तादाद पर पड़ेगा। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होगी और फसलों की उत्पादकता भी प्रभावित होगी। मिट्टी में कीटनाशकों के इन अवशेषों का सीधा असर फसलों की उत्पादकता पर पड़ेगा और साथ ही जैविक प्रक्रियाओं पर भी। अगर भूमि जहरीली हो गई तो बैक्टीरिया की तादाद प्रभावित होगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि रसायन अनाज, दलहन और फल.सब्जियों के साथ मानव शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोने से उनका ऊपरी आवरण तो स्वच्छ कर लिया जाता है, लेकिन उनमें मौजूद विषैले तत्वों को भोजन से दूर करने का कोई तरीका नहीं है। इसी धीमे जहर से लोग कैंसर, एलर्जी, हृदय, पेट, शुगर, रक्त विकार और आंखों की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
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