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Taliban ने कर दिया है “ट्रांजिशनल सरकार” से इनकार

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अफगानिस्तान (Afghanistan) को छोड़कर अशरफ गनी (Ashraf Ghani) बाहर जा चुके हैं. इसके बाद तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन को अपने नियंत्रण में ले लिया है. इसके साथ ही तालिबानी अधिकारियों ने कहा है कि अफगानिस्तान में कोई “ट्रांजिशनल सरकार” नहीं बनेगी.
अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने के बाद स्थिति पूरी तरीके से बदल गई है. काबुल में तालिबान (Taliban) के आने के बाद पूरी तरीके से अफरा-तफरी मची हुई है. जिसको देखते हुए अमेरिका ने अपने दूतावास से राजनयिकों को हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित निकाल लिया है.
तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता सोहेल शाहीन की तरफ से बयान जारी करके कहा गया है कि आम माफी का ऐलान किया गया है. किसी के खिलाफ बदले की कार्रवाई नहीं होगी. अमेरिका ने भी चेतावनी दी है कि अगर उसके मिशन और कर्मियों को नुकसान पहुंचाया तो फिर कठोर सैनिक कार्यवाही की जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि इसलिए भी तालिबान ठहरा हुआ है कि अमेरिकी काबुल से निकल जाएं.
अमेरिकी दूतावास ने जारी किया अलर्ट
काबुल में स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक अलर्ट जारी करके सूचना दी है कि अफगानिस्तान की राजधानी में स्थिति तेजी से बदल रही है. अमेरिकी दूतावास ने काबुल में फंसे अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित जगह निकल जाने के लिए कहा है. इसके साथ ही अमेरिकी दूतावास खाली कराया जा चुका है और अब वह काबुल एयरपोर्ट से काम कर रहे हैं. एयरपोर्ट पर भी फायरिंग की खबरें हैं.
आपको बता दें कि अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं और पूरे अफगानिस्तान पर एक तरह से तालिबान का कब्जा हो चुका है. अशरफ गनी के निकटतम सहयोगी भी देश छोड़कर भाग चुके हैं. इसके पहले तालिबान (Taliban) ने आधिकारिक तौर पर एक बयान जारी कर कहा था कि काबुल की शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए वह शहर में दाखिल हो रहा है.
ब्रिटेन ने जताई चिंता
ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताई है और उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से बात भी की है. अफगानिस्तान के ताजा हालातों पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के बदल रहे हालात पर नजर रखे हुए हैं.
कई देशों ने अपने राजनयिक बाहर निकालने की बात की है और निकाल भी रहे हैं. लेकिन इस बीच रूस के राजदूत की तरफ से बयान आया है कि रूस के राजनयिक अफगानिस्तान नहीं छोड़ेंगे. भारत ने भी काबुल से अपने सैकड़ों अधिकारियों और नागरिकों को निकालने के लिए आकस्मिक योजना बनाई है.
अमेरिका की तीखी आलोचना
अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर चारों तरफ अमेरिका की तीखी आलोचना हो रही है और काबुल से उसके सैनिकों की वापसी की तुलना वियतनाम युद्ध में अमेरिका की हार से की जा रही है. लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकिंग ने इस पर आपत्ति जताई है और कहा है कि अमेरिका का अफ़ग़ान मिशन सफल रहा है.
अफगानिस्तान में लागू होगा शरिया कानून
अफगानिस्तान में तालिबान युग फिर से लौट आया है. महिलाएं खासतौर पर अफगानिस्तान की डरी हुई है. तालिबान की जैसी विचारधारा रही है उसको अगर देखा जाए तो कई सवाल उठ रहे हैं, जिसमें प्रमुख है कि क्या अब अफगानिस्तान में महिलाओं को काम और पढ़ाई करने दी जाएगी या नहीं? क्या अफगानिस्तान में महिलाएं और लड़कियां स्कूल जा पाएंगे या नहीं?
तालिबान के प्रवक्ता की तरफ से कहा गया है कि महिलाएं पढ़ाई कर सकती हैं. लेकिन उन्हें इस्लाम के शरिया कानून का सख्ती से पालन करना होगा. वही हिजाब पहनने पर भी जोर दिया गया है. इससे पहले भी तालिबान ने यही बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि महिलाओं को पढ़ने की इजाजत दी जा सकती है, लेकिन हिजाब पहनना जरूरी होगा.
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान को जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा की जाएगी. 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद, अमेरिका नीत बलों द्वारा अफगानिस्तान से तालिबान को अपदस्थ करने के लिए शुरू किए गए हमलों से पहले भी आतंकी संगठन ने अफगानिस्तान का नाम इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान रखा हुआ था.
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