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72 घंटे में सिर्फ 25 मिनट की पेयजल सप्लाई

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खंडेला/सीकर. जलदाय विभाग के बेहतर पेयजल सप्लाई के दावे खंडेला इलाके में भी कागजी साबित हो रहे हैं। गर्मी में इलाके में पेयजल को लेकर मारामारी होने लगी है। क्षेत्र में अधिकांश जलस्रोत नकारा घोषित हो चुके हैं तो कुछ नकारा होने की कगार पर हैं। उधर जिम्मेदारों का अभी इस ओर कोई ध्यान नही है। जल स्तर काफी नीचे चले जाने के कारण खंडेला क्षेत्र डार्कजोन में भी आता है। खंडेला कस्बे में 72 घंटे से 25 से 30 मिनट तक पानी की सप्लाई जलदाय विभाग की ओर से की जाती है। कस्बे वासियों ने बताया कि 72 घंटे से 20-25 मिनट पानी की सप्लाई की जाती है इससे कैसे उनका काम चले..। लोग पानी के लिये इतने परेशान है कि मंहगे दामों में पीने के टैंकर मंगवाने पड़ रहे है। कस्बेवासियों ने कई बार इस समस्या से राजनेताओं से लेकर अधिकारियों तक को अवगत करवा दिया। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नही होने से कस्बेकवासियों में काफी आक्रोश है। कुछ कस्बेवासियों का कहना है कि उनके तो पानी 10 से 15 मिनट तक ही आ पाता है। कस्बे की भौगोलिक स्थित ऐसी है कि कुछ लोगों के मकान ऊंचाई पर हैं तो कुछ के समतल पर। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल समस्या है। सीकर शहर में श्रमदान मार्ग पर पेयजल समस्याएसके अस्पताल के पास श्रमदान मार्ग इलाके में भी भयंकर पेयजल समस्या है।व्यापारी कांतिप्रसाद पंसारी ने बताया कि गर्मी आने के साथ सप्लाई व्यवस्था बेपटरी हो गई है। कई परिवारों को पांच दिन से एक टैंकर मंगाना पड़ रहा है। यदि विभाग सोभासरिया धर्मशाला के पास से इलाके के लोगों को कनेक्शन दें तो राहत मिल सकती है। विभाग के अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है।कोटड़ी लुहारवास क्षेत्र में बेपटरी व्यवस्थाग्राम कोटड़ी लुहारवास में जलदाय विभाग की अधिकांश ट्यूबवैल भी नकारा हो चुकी है। ग्राम में पानी की सप्लाई के लिए जलदाय विभाग की पुराने पंचायत भवन के पास बनी एक ट्यूबवेल व छापौली मार्ग पर नदी में बनी दो ट्यूबवैल नकारा हो चुकी है। ग्रामीणों की माने तो इन तीनों ट्युबवेलों की गहराई ओर करवा दी जाए तो पानी हो सकता है। इसके बाद गांव में पानी की सप्लाई के लिये जलदाय विभाग द्वारा लुहारवास मार्ग क्रेशर के पास 2 ट्युबवेल लगाई गई थी जिनसे थोड़ा बहुत काम चल रहा है फिर भी लोगों को पीने के लिये पानी के टेंकर मंगवाने पड़ रहे है। अब दिनों दिन इनमें भी पानी का स्तर नीचे जाता जा रहा है अगर ये ट्युबवेल भी बंद हो जाती है तो गांव को पानी की एक बंूद भी नही मिल पायेगी। ग्राम पंचायत कोटड़ी लुहारवास की करीब 1500 की आबादी वाली गोपी की ढ़ाणी में करीब 13 वर्ष पूर्व करीब 2 लाख की लागत से बनी पानी टंकी में आज तक पानी नही डाला गया है। इस टंकी में पानी डालने के लिये ढ़ाणीवासी ट्युबवेल का इंतजार कर रहे है कि कब ट्युबवेल हो ओर तब इसमें पानी डले ओर हमारे घर तक पहूंचे। लोगों का यह सपना अभी तक सपना ही बना हुआ है।चला. चिलचिलाती धूप में सिर पर पानी से भरी बाल्टी तो किसी के सिर पर मटका। कोई मौहल्लों के घरों में जाकर पानी के लिए दर दर भटक रहा है तो टैंकरों के जरिए हलक तर करने की कोशिश में है। ग्राम गुहाला में जलदाय विभाग नाकाम साबित हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता रामकिशोर कुमावत, प्रदीप शर्मा ने बताया कि महिलाएं व बच्चे भरी दुपहरी में दूर नदी क्षेत्र के हैण्डपम्प से पानी लाते हैं। घंटों लाइन में खडे होने के बाद मात्र एक बाल्टी-मटके की व्यवस्था हो पाती है। वर्तमान में जलदाय विभाग की दो पानी की टंकी बनी हुई है तथा दो टयूबवेल भी चालू है मगर सही रख-रखाव व संचालन के कारण घरों में तीन दिन से एक बार पानी की सप्लाई होता है वह भी मात्र एक मटका। गांव के वार्ड 4,5,6,7,8,9 व 10 के हालात तो बदतर हैं। यहां महिलाएं व बच्चे तेज दुपहरी हो या फिर देर रात में सिर पर पानी लेकर जाते मिल जाएंगी। महिलाओं ने बताया कि घरों में करीब तीन दिन से एक बार पानी सप्लाई होता है इस कारण पीने के पानी का इधर उधर से जुगाड़ करना पड़ता है। 15 सालों से यही स्थिति है।

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