जयपुर.
दुनिया में हर मिनट 84 उड़ानें उड़ान भरती हैं। पिछले वर्ष दुनिया में 400 करोड़ लोगों ने विमान से यात्राएं की थीं। हवाई यात्राएं भले ही व्यापार, पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ाती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन में भी इसका बड़ा योगदान है। ऐसे में इलेक्ट्रिक प्लेन एक बेहतर विकल्प हो सकता है। ऐस ही इलेक्ट्रिक प्लेन एलिस से मिलवाते हैं। इस वर्ष पेरिस एयर शो में इसके एक प्रोटोटाइप को सार्वजनिक किया गया। इस तरह की योजनाएं भविष्य में छोटी उड़ानों के लिए कारगर हो सकती हैं।
कुल कार्बन उत्सर्जन में 2 फीसदी विमानों सेएक अनुमान के मुताबिक कुल कार्बन उत्सर्जन में 2 फीसदी योगदान विमानन उद्योग की देन है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आइएटीए) ने 2050 तक हवाई यात्रा में कार्बन उत्सर्जन को 2005 के भी आधे स्तर पर लाने का का संकल्प किया है। एयर ट्रांसपोर्ट एक्शन ग्रुप के अनुसार विमानों से होने वाला 80 फीसदी कार्बन उत्सर्जन 1500 किलोमीटर से अधिक की उड़ानों से होता है। बोइंग ने भी इस वर्ष एक प्रोटोटाइप लॉन्च किया था, जबकि पिछले वर्ष एयरबस, सीमेंस और रोल्स रॉयस ने भी इलेक्ट्रिक विमानों का प्रोजेक्ट पेश किया था। इस बीच अमरीकी एयरलाइन केप एयर 2022 तक इन विमानों को उड़ाने पर विचार कर रही है।
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