सवाईमाधोपुर. भले ही हमारे देश में छात्रसंघ चुनावों को राजनीति की पहली सीढ़ी माना जाता है, लेकिन जिला मुख्यालय स्थित शहीद कैप्टन रिपुदमन सिंह राजकीय महाविद्यालय में 47 सालों के छात्रसंघ चुनाव के इतिहास में अधिकांश छात्र नेता राजनीति की पहली सीढ़ी चढऩे के बाद भी राजनीति में कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर सके और छात्रसंघ चुनावों तक ही सीमित होकर रह गए।
केवल एक ने पाया राजनीति में बड़ा मुकाम : सवाईमाधोपुर में 1971 में कॉलेज खुलने के बाद ही अबरार अहमद कॉलेज की राजनीति में सक्रिय रहे और 1971-72 में हुए कॉलेज के पहले चुनाव में छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके बाद उनसे राजनीति का दामन कभी छूटा ही नहीं और कांग्रेस की ओर से सक्रिय राजनीति करते हुए 1997 में वित्त राजमंत्री बने।
राजनीति में कोई किसी को पनपने नहीं देता राजनीति विशेषज्ञ डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी के अनुसार ‘बरगद के पेड़ के नीचे कुछ नहीं पनपता हैÓ यह कहावत राजनीति में भी चरितार्थ होती है। राजनीति में कोई भी बड़ा नेता किसी को भी आगे बढऩे नहीं देता ताकि जनता के बीच उसकी लोकप्रियता बनी रहे। साथ ही स्थानीय स्तर पर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास नहीं होना भी एक कारण है।
एक ही बन सका सरपंच इसके अतिरिक्त केवल एक ही पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ग्रामीण राजनीति की सीढ़ी चढ़ सका और सरपंच के मुकाम तक पहुंच सका। 1994-95 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने डिग्गीप्रसाद मीणा 1999 में राईथा कलां गांव के सरपंच चुने गए थे। इसके अलावा 1997-98 में अध्यक्ष बने भागचन्द सैनी भी केवल समाज की राजनीति तक ही सिमट के रह गए।
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