सुरक्षा राजौरा@ कोटा.
एक ही नोट [रुपए] पर भारत और पाकिस्तान दोनों की ही सरकारों के नाम चौंकाने वाले हो सकता हैं, लेकिन आजादी के तत्काल बाद ऐसा वक्त भी रहा है, जब दोनों ही देशों की एक मुद्रा थी और पाकिस्तान को भारत के रुपए पर अपनी सरकार का नाम छपवा कर काम चलाना पड़ा था। यानी भारत में छपे नोटों से पाकिस्तान में कारोबार हुआ करता था। यह ऐसी दुर्लभ मुद्रा है, जो भारत में भी चली और पाकिस्तान में भी। ऐसे दुर्लभ नोट कोटा में डाक टिकट संग्रहक नरेन्द्र जैरथ के पास हैं।
क्यों हैं दुर्लभपाकिस्तान भले ही जरा-जरा सी बात पर आंख दिखाने की कौशिश करता हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब पाकिस्तान को भारतीय रुपए से अपने बाजार चलाने पड़े। इतिहास के जानकारों के अनुसार, आजादी के वक्त भारत को 75 करोड़ की राशि पाकिस्तान को देनी थी। इसमें से 20 करोड़ पहले दे दिए गए और बाकी के 55 करोड़ की राशि बाद में दी गई। इस राशि में एक रुपए के नोट भारत में रिजर्व बैंक ने छापे थे। इन पर गर्वंमेंट ऑफ इंडिया छपा हुआ था। जिस पर भारत सरकार के वित्त सचिव के हस्ताक्षर थे।
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इस पर ही अलग से पाकिस्तान सरकार शब्द अंग्रेजी और उर्दू में छापा गया। दो रुपए का नोट रिजर्व बैंक ने छापा था। इस पर भी अंग्रेजी और उर्दू में पाकिस्तान सरकार छपा हुआ था। ऐसे नोट पाकिस्तान में जारी किए गए। वे वहां से लोगों के हाथों में होते हुए भारत भी आए। कोटा के नरेन्द्र जैरथ के पास ऐसे अनेक दुर्लभ नोट संरक्षित हैं। इन नोटों पर किंग जार्ज का फोटो लगा हुआ था।
नोटों की प्रिंटिंग प्रेस भी एक ही थी
आजादी के वक्त देश में नोट छापने की मशीन भी एक ही थी। यह मशीन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास थी। जिसे आजादी के बाद पाकिस्तान को देने से इनकार कर दिया था।
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