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SP ऑफिस के कर्मचारी ने टाइप परीक्षा में अपनी जगह बिठाया दूसरा अभ्यर्थी, परमिशन लेटर पर मिले पुलिस अधिकारियों के हस्ताक्षर

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सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सहायक लिपिक पिता की मौत के बाद से अनुकंपा नियुक्ति पर पांच साल से नौकरी कर रहा है। फर्जी परीक्षार्थी पकड़े जाने के बाद राजेंद्र शुक्रवार को एसपी कार्यालय में नौकरी करने के लिए नहीं पहुंचा। वह तीन बार टंकण परीक्षा में फेल हो चुका है। इससे पहले की टंकण परीक्षा में उसने आवेदन ही नहीं किया था। 2016 से पहले के सभी कर्मचारियों को विशेष अनुमति पर टंकण परीक्षा देने के लिए चयन किया। सहायक लिपिक राजेंद्र कुमार ने परीक्षा को पास करने के लिए विक्रम से दो हजार रुपए में सौदा किया। उसने पुलिस अधिकारियों के हस्ताक्षर भी पास पर कर लिए। उसने विक्रम के फर्जी दस्तावेज बना दिए। एसआई अमर सिंह ने बताया कि राजेंद्र को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे कोरोना जांच कराने के बाद जेल भेजने के आदेश दे दिए है। उन्होंने बताया कि राजेंद्र को बुलाकर मामले की जांच को लेकर पूछताछ की जाएगी। केंद्र अधीक्षक श्यामसुंदर की रिपोर्ट पर विक्रम सिंह पुत्र जवाहरराम जाट निवासी खिरोड नवलगढ़, झुंझुनूं को गिरफ्तार किया था। वह लेखा विभाग में कार्यरत राजेंद्र कुमार पुत्र भागीरथ के स्थान पर परीक्षा देने के लिए गया था। सहायक लिपिक राजेंद्र कुमार ने उसके फोटो व पहचान पत्र बनवा कर दिए थे। परीक्षा देने के लिए उसको दो हजार रुपए में सौदा तय हुआ था।
ये है मामलाअनुकंपा नियुक्ति के स्थाईकरण के लिए आयोजित टंकण परीक्षा में सहायक लिपिक के स्थान परीक्षा देते हुए युवक को पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार किया था। आरोपी झुंझुनूं का खिरोड निवासी विक्रम सिंह पुत्र जवाहरराम जाट था। जो हाल ही में आरटीओ कार्यालय के पास जगदंबा कालोनी में रहता है। पुलिस के अनुसार जयपुर रोड आईटीआई सेंटर में अनुकंपा नियुक्ति के लिए दोपहर 12 से 1 बजे के बीच आयोजित टंकण परीक्षा में वह एसपी कार्यालय में लेखा विभाग में कार्यरत राजेंद्र कुमार पुत्र भागीरथ की जगह परीक्षा दे रहा था। राजेंद्र ने खुद की जगह परीक्षा में विक्रम को भेज दिया था। परीक्षा केंद्र में फोटो व पहचान में शंका नजर आने पर विक्रम से पूछताछ की गई। इस दौरान केंद्र अधीक्षक को शक हो गया। उन्होंने उद्योगनगर पुलिस को सूचना दी। इसके बाद उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया।
फोटो व पहचान पत्र बनवाए गए नकलीजांच में पुलिस को पता लगा कि विक्रम के पहचान पत्र भी नकली बनाए गए। उसके फोटो बनाकर पहचान पत्र में लगाए गए थे। सहायक लिपिक राजेंद्र कुमार ने उसके फोटो व पहचान पत्र बनवा कर दिए थे। परीक्षा देने के लिए उसको दो हजार रुपए में सौदा तय हुआ था। जांच के बाद पुलिस अब राजेंद्र को भी गिरफ्तार करेगी।
ऑफिस का नाम भी नहीं बता सका तो हुआ शककेन्द्राधीक्षक को वीक्षक ने सूचना दी कि एक अभ्यर्थी के हस्ताक्षर व फोटो नहीं मिल रहे है। इस पर केन्द्राधीक्षक ने मोबाइल नंबर, काम करने वाले कार्यालय का नाम, घर का पता सहित अन्य जानकारी पूछी। इस पर फर्जी अभ्यर्थी चुप हो गया। ऐसे में केन्द्राधीक्षक ने अपर जिला कलक्टर जयप्रकाश को पूरे मामले की जानकारी दी।
कर्मचारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाईप्रशासन की ओर से फर्जी अभ्यर्थी शामिल कराने वाले कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल प्रशासन ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। अब प्रशासन की ओर से संबंधित कर्मचारी के मुख्यालय को भी इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा।

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