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पदोन्नति में किसी को मैडल तो किसी को झटका

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सीकर. शिक्षा विभाग में पदोन्नति के नियमों की गड़बड़झाला किसी को समय से पूर्व ही मैडल दिला रही है तो किसी को निराश का झटका लग रहा है। सरकारों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया हैं। इससे कला संकाय के शिक्षक परेशान हैं।राज्य सेवा में नियमानुसार 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से एवं 50 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाते हैं। 2008-09 तक शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में पदोन्नति पर सामान्य वरिष्ठ अध्यापकों के पद पर ही पदस्थापन दिया जाता था, चाहे वह शिक्षक बीएससी बीएड ही क्यों न हो। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के तमाम पद सीधी भर्ती से ही भरे जाते थे। सेवा नियमों की अवहेलना की सजा कला संकाय के शिक्षक भुगत रहे हैं।शिक्षकों को झटकासरकार ने 2016 में स्टाफिंग पैटर्न में कुछ शिक्षकों को एक और झटका दे दिया। चूंकि विषयवार पदोन्नति में वाणिज्य, कृषि विज्ञान और चित्रकला को सामान्य वरिष्ठ अध्यापक के रूप में माना गया। लेकिन इन सात विषयों में सामान्य वरिष्ठ अध्यापक को 1/7 पद आवंटित नहीं किए गए। इसलिए ये संवर्ग फिर पिछड़ गया। पदोन्नति का आधार विषयवारपदोन्नति के इस खेल में कला संकाय के शिक्षक पिछड़ गए है। 2009-10 से राज्य में पदोन्नति का आधार विषयवार कर दिया गया। पहले सामान्य वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदस्थापित शिक्षक को हिंदी, सामाजिक, संस्कृत के पद पर पदस्थापित किया जाता था। विज्ञान संकाय का शिक्षक भी इन्हीं सामान्य विषयों पर पदस्थापित होता था। विषयवार पदोन्नति का फायदा भी गणित, विज्ञान, अंग्रेजी के शिक्षकों को ही मिला, क्योंकि इन विषयों के पद अधिक रिक्त होने से ज्यादा शिक्षकों को फायदा मिला। सामान्य वरिष्ठ अध्यापक में हिंदी, सामाजिक, संस्कृत के पद पहले से भरे होने के कारण बहुत ही कम शिक्षकों को पदोन्नति का अवसर मिला। इससे कला संकाय के शिक्षक पिछड़़ गए।आखिरी पड़ाव पर पदोन्नति का त्याग2008 से पहले और बाद में भी विषयवार पदोन्नति में सामाजिक एवं सामान्य के शिक्षक बहुत पिछड़ गए। बहुत से शिक्षक तो ऐसे है, जिन्होंने 27 वर्षीय चयनित वेतनमान ले लिया हैं। अत: अब सेवा के आखिरी पड़ाव पर वे पदोन्नति का परित्याग कर रहे हैं। 9-10 साल की सेवा पर पदोन्नति मिलती है, तो शिक्षक उत्साह के साथ कार्य करता है। व्याख्याताओं का भी हक छिन रहातृतीय श्रेणी से पदोन्नत होकर वह द्वितीय श्रेणी में पदस्थापित होते है और व्याख्याता के पद पर पदोन्नति का इंतजार करते हैं। यहां भी उनका हक विज्ञान संकाय के शिक्षक छीन लेते हैं। विज्ञान-गणित के वरिष्ठ अध्यापक कला संकाय के विषय से पीजी कर लेते हैं। वे ही हिंदी, इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल के व्याख्याता बन जाते हैं। कला संकाय के शिक्षकों के साथ शुरू से न्याय नहीं हुआ। कला व वाणिज्य संकाय के शिक्षक या तो थर्ड ग्रेड से या सैकंड ग्रेड से ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। विज्ञान विषय के शिक्षक प्रधानाचार्य तक पदोन्नति पा लेते हैं। कला और वाणिज्य संकाय के शिक्षकों में इसको लेकर काफी रोष है।इनका कहना है…सरकार को शिक्षकों की इस वाजिब समस्या का समाधान करना चाहिए। इससे कला संकाय के शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर बढ़ सकेंगे।उपेंद्र शर्मा प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ, शेखावत

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