पलसाना/ सीकर. चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए औद्योगिक क्षेत्र पलसाना की नीलामी में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल सामने आया है। यहां खुद रीको के एक कर्मचारी ने अपने रिश्तेदारों के नाम से फर्म बनाकर लगभग 25 करोड़ की कीमत का भूखण्ड महज सवा तीन करोड़ में नीलामी के जरिए ले लिया है। रीको की बेशकीमती जमीन लेने के लिए जिस तरह से मिलीभगत का खेल खेला गया उसकी नींव ही फर्जीवाड़े से लगी है। पत्रिका टीम ने नीलामी प्रक्रिया के रेकॉर्ड को खंगाला तो हर स्तर पर सिस्टम की लापरवाही और मिलीभगत नजर आई। इस पूरे खेल से रीको को लगभग 22 करोड़ का नुकसान हुआ है।14342 वर्गमीटर का भूखण्ड सालों से खालीयहां औद्योगिक क्षेत्र में कृषि मंडी के पश्चिम में करीब 14342 वर्ग मीटर का एक भूखंड पलसाना में रीको के स्थापित होने के दौरान ही फ्यूचर प्लान को लेकर खाली छोड़ा गया था। लेकिन पिछले साल कोरोना काल के दौरान इस बेशकीमती जमीन को अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए एक ही भूखंड के रूप में बेच दिया। यह भूखंड सीकर जयपुर राजमार्ग पर स्थित है। इस भूखण्ड की व्यावसायिक के बजाय औद्योगिक श्रेणी में नीलामी करने से भूखंड की कीमत काफी कम तय हुई।यूंं समझें इस खेल कोपलसाना रीको औद्योगिक क्षेत्र में हाल ही में व्यवसायिक और औद्योगिक दोनों तरह के भूखंडों की नीलामी की गई है। जिसमें व्यवसायिक भूखंडों की नीलामी के लिए न्यूनतम बोली 15 हजार प्रति वर्गगज रखी गई थी। जबकि औद्योगिक भूखंडों की न्यूनतम बोली 2500 रुपए वर्गगज एवं 3000 रुपए वर्गगज रखी गई। जिसमें औद्योगिक भूखंड औसतन चार और पांच हजार रुपए प्रति वर्गगज की दर से नीलाम हुए हैं। रीको के सबसे बड़े भूखंड की नीलामी केवल 3020 रुपये प्रति वर्गगज की दर से ही हो गई।रीको क्षेत्र का सबसे बड़ा भूखंडपलसाना रीको में औद्योगिक क्षेत्र के लिए इससे पहले कुछ भूखंड आठ हजार व बाकी के दो हजार, एक हजार व पांच सौ वर्गगज के भूखंडों के रूप में अलॉट किए गए हैं। चहेतों के लिए सड़क के दूसरी ओर की सम्पूर्ण जमीन एक ही भूखंड के रूप में करीब 14342 वर्गगज का अलॉट कर दिया।रीको के कर्मचारी के रिश्तेदारों के नाम ही अलॉट हुआ पलसाना में जिस भूखंड को वाणिज्य और औद्योगिक में अलग अलग ना बेचकर केवल औद्योगिक के रूप में ही बेचा गया, वह भूखंड रीको के एक कर्मचारी के रिश्तेदारों के नाम ही अलॉट हुआ है। इस भूखंड की नीलामी प्रक्रिया को चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए गुपचुप तरीके से पूरा किया गया। ऐसे में ई-निविदा के जरिए समाचार पत्रों में सूचना प्रकाशित करने के दौरान केवल सीकर के भूखंड दर्शाए गए। इसके बाद ना तो पलसाना रीको में किसी प्रकार के पम्पलेट वितरण किए गए और ना ही गाड़ी से नीलामी को लेकर किसी प्रकार की मुनादी कराई गई।दस-दस रुपए की दो बोली में नीलाम हो गया भूखंडपलसाना रीको के सबसे बड़े भूखंड की ई-नीलामी के दौरान तीन हजार रुपए प्रति वर्गगज से बोली शुरू हुई। इस दौरान पहले बोलीदाता बलराम खीचड़ ने 3010 रुपए की बोली लगाई। इसके बाद दूसरे बोलीदाता बलबीर रूयल ने इस बोली को दस रुपए बढ़ाकर 3020 रुपए कर दिया। इसके बाद पहले बोलीदाता ने बोली को आगे नहीं बढ़ाया तो निर्धारित समय निकलने के बाद दूसरे बोलीदाता के नाम सर्वाधिक बोली होने से अलॉटमेंट पूरा कर 3020 में भूखंड का अलॉटमेंट कर दिया गया। इसके बाद इस भूखंड का कब्जा देने को लेकर भी रीको के अधिकारियों ने इतनी दिलचस्पी दिखाई कि कुछ दिनों में ही इस प्रक्रिया को पूरा कर दिया गया। जबकि कुछ लोग पिछले कई सालों से भूखंडों के कब्जे के इंतजार में बैठे हैं।…तो आ जाएगा सच सामने1. जमीन आवंटन के लिए जो फर्म बनाई गई उसके सदस्यों की रीको के कर्मचारी की आईडी के आधार पर जांच की जाए तो सच सामने आ सकता है। 2. व्यावसायिक जमीन को औद्योगिक श्रेणी में क्यों बेचा गया?3. जिस आईपी से नीलामी के लिए बोली लगाई गई उनको टे्रस कर पूरा खेल उजागर किया जा सकता है।4. कर्मचारी व जमीन लेने वाली कंपनी के सदस्यों के बीच कई दिनों से बातचीत जारी है। अधिकारी क्यों अनजान बने रहे?5. इतना बड़ा भूखण्ड अमूमन बड़ी औद्योगिक कंपनियों के रीको के पास प्रस्ताव आने पर दिया जाता है। लेकिन यहां तो प्रस्ताव भी नहीं आया। जमीन लेने वाली कंपनी के पास औद्योगिक विकास का भी कोई खाका तैयार नहीं है।
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