मुकेश कुमावत. नीमकाथाना. कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर आने की आशंका हो रही है। जो बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। जिस तरह दूसरी लहर में शहरों की बजाए गांवों में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम कमजोर साबित हो रहा है, तीसरी लहर में तो ग्रामीण क्षेत्रों में मुसीबत बढऩा तय है। सीकर जिले के नीमकाथाना ब्लॉक स्तर पर स्थित राजकीय कपिल अस्पताल के क्या हाल होंगे, सोच कर ही सिहरन पैदा हो रही है। जहां पहले से ही बच्चों का आउटडोर प्रतिदिन 200 तक पहुंच गया है।वर्तमान तैयारी को देखते हुए तीसरी लहर से निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग लोगों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने में कमजोर ही साबित होता नजर आ रहा है। राजकीय कपिल अस्पताल में बच्चा वार्ड नहीं होने से तीसरी लहर में बच्चों को भर्ती करने में अस्पताल प्रशासन के पास हाथ खड़े करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा। गंभीर स्थिति में परिजन बच्चों को 80 किलोमीटर दूर सीकर, 50 किलोमीटर कोटपूतली तथा 120 किमी. दूरी स्थित जयपुर ले जाने में असमर्थ होंगे।एक कमरे में अस्पताल, दूसरे में आंगनबाड़ीगणेश्वर गांव के आगरी क्षेत्र में 2005 से संचालित उप स्वास्थ्य केन्द्र आज भी सुविधाओं को मोहताज है। दर्जनों ढाणियों के लोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए संचालित केंद्र पर ना तो बिजली पानी की सुविधा है और ना ही शौचालय बने हुए हैं। दो कमरों वाली धर्मशाला में एक कमरे में उप स्वास्थ्य केंद्र है तथा दूसरे कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र चल रहा है। धर्मशाला के कमरों की हालात जर्जर होने से बारिश में छत की पट्टियों से पानी टपकता है। उप स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत एएनएम, आशा सहयोगिनी पीने के पानी की बोतल भी घर से साथ लाती हैं। केंद्र पर नाम मात्र का बजट आता है वो भी रंग रोगन में पूरा हो जाता है। कोरोना संकटकाल में सैनेटाइजर व मास्क भी इसी बजट से खरीदने पड़ते हैं। यहां तक कि केंद्र पर कार्यरत एएनएम को पीपीई किट भी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।पांच किलोमीटर पैदल जाती है एएनएमढाणी तक कोई वाहन नहीं जाने के कारण एएनएम मीनाक्षी शर्मा रोजाना पांच किलोमीटर पैदल चलकर केंद्र पर पहुंचती है। एक वर्ष से कोरोना संकटकाल मेें पति के साथ बाइक पर बैठकर क्षेत्र का दौरा कर मरीजों की देखभाल भी कर रही है।
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