आजकलराजस्थान / जयपुर,राजधानी के एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में एक रेजीडेंट द्वारा मरीज की पिटाई का वीडियो वायरल हो रहा है।इस वीडियो के वायरल होने के भले ही अस्पताल प्रशासन ने घटना अस्पताल की होना स्वीकार की हो लेकिन इसके बावजूद रेजीडेंट पर कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं बड़ा सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब घटना एक जून की है और मेडिसिन विभागाध्यक्ष और अस्पताल प्रशासन के सामने मामला आ गया था तो इसे दबाया क्यों गया।
आजकलराजस्थान को मिली जानकारी के अनुसार एक जून को वन सी वार्ड में भर्ती मरीज मुबारिक और रेजीडेंट सुनील के बीच सेंपल लेने के दौरान कहासुनी हो गई। इसे लेकर रेजीडेंट ने मरीज की पिटाई कर दी। इसी दौरान वहां मौजूद किसी मरीज के परिजन ने पूरे मामले का वीडियो बना लिया। यह वीडियो उसी दिन मेडिसिन के विभागाध्यक्ष के सामने आया था लेकिन मामला दबा दिया गया। वहीं मामले को लेकर एसएमएस अस्पताल में सोमवार को पूरे दिन गहमागहमी रही और लगभग हर डॉक्टर, रेजीडेंट, नर्सिंग स्टाफ के माेबाइल में यह वीडियो चलता रहा।
इस मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा ने कहा कि उत्तरप्रदेश के मरीज मुबारिक को बुखार था। उसे भर्ती किया गया। लेकिन भर्ती करने के बाद से ही वह बार बार आक्रामक हो रहा था। इससे पहले इंजेक्शन लगाते या सैंपल लेते, उसने पास के ही एक अन्य मरीज के परिजन और डॉक्टर के थप्पड़ मार दिया। उसे काबू में करने के लिए रेजीडेंट ने ऐसा किया। हालांकि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
रेजिडेंट डॉक्टर पर क्या कार्रवाई होगी ? -नियमाें के अनुसार किसी भी मरीज के साथ अभद्र व्यवहार तक नहीं किया जा सकता। ऐसे में पिटाई बहुत ही गंभीर मामला है। ऐसे मामले में एफआईआर कराई जाने के बाद रेजीडेंट को हिरासत में लिया जा सकता है। वहीं एसएमएस मेडिकल कॉलेज एमसीआई को पत्र लिखकर या अपने स्तर पर निर्णय कर उसे बर्खास्त कर सकता है। इसके अलावा सरकार भी अपने स्तर पर रेजीडेंट को सीधे बर्खास्त कर सकती है।मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान :- राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने कहा कि इस वीडियों को देखकर निश्चित रूप से अन्य रोगी आंतकित हुए होंगे। यह अमानवीय है। यह समझ से परे है कि मारपीट के समय मौजूद अन्य चिकित्सक एवं स्टाप कर्मी उसे रोक नहीं पाए। वजह कोई भी रही हो लेकिन, इस तरह रोगी को पीटना गंभीर अपराध है। इस संबंध अस्पताल से तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की गई है।मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है।