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सीकर- जयपुर की पुलिस सबसे स्मार्ट, सवाईमाधोपुर की सबसे फिसड्डी

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सीकर. एक दौर था जब केवल डंडे के आधार पर पुलिस का चेहरा तय किया जाता था। समय के बदलते दौर के साथ अब न केवल स्मार्ट पुलिसिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है, बल्कि पुलिस की इमेज को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। स्मार्ट पुलिसिंग को बढ़ाने और चालान के दौरान रिश्वत के आरोपों से बचाने के लिए ई-चालान के लिए मशीनें आवंटित की गई। सभी जिलों में पुलिस थानों और ट्रेफिक पुलिस को ये मशीनें दी गई। पुलिस मुख्यालय ने ई-चालान के आधार पर जिलों की रैंकिंग तय की है। जनवरी से सितम्बर के आंकडों के आधार पर सीकर पुलिस को प्रदेश में प्रथम और जयपुर ग्रामीण को द्वितीय और कोटा को तीसरे स्थान पर रखा गया है। पुलिस मुख्यालय ने ई-चालान के आधार पर पुलिस की कार्यशैली को सराहा है। स्मार्ट पुलिसिंग से लोगों को भी परेशानी होने से बच जाती है। स्मार्ट पुलिसिंग से ई-चालान से सीकर पुलिस ने 35 लाख रुपए का रेवेन्यू लिया है। हैरानी की बात है कि सवाईमाधोपुर, पाली और भीलवाड़ा जिला पुलिस सबसे फिसडड़ी रहे हैं।
जोधपुर के पास सबसे ज्यादा 70 मशीनेंपुलिस मुख्यालय के आंकडों की मानें तो सबसे ज्यादा 70 मशीनें जोधपुर को दी गई। सीकर को 15, जयपुर ग्रामीण को 40, कोटा को 38, अलवर को 40, अजमेर को 50, गंगानगर को 23, जयपुर को 5, उदयपुर को 40, झुंझुनूं को 10, हनुमानगढ़ को 10, नागौर को 30, चितौडगढ़ को 10, बीकानेर को 30, भरतपुर को 10, धौलपुर को 4, भीलवाड़ा को 30, पाली को 22, सवाईमाधोपुर को 4 मशीन आवंटित की गई।
ई-मित्र पर कमीशन का खेल
ट्रेफिक पुलिस और पुलिस अक्सर चौराहों पर कागज पर ही चालान करती रही है। चालान काटे जाने के बाद ई-मित्र पर जुर्माना राशि जमा कर रसीेद ली जाती है। वहीं रसीद पुलिस थानों में जमा कराया जाता है। यूं तो ई-मित्र पर 50 रुपए फीस ली जाती है, लेकिन ई-मित्र अधिक जुर्माने के साथ फीस भी ज्यादा लेते है। उनसे 100-150 रुपए तक ले लिए जाते हंै। ई-मित्र पर कोरोना महामारी के बाद से ई-चालान ही अधिक प्रभावी रहा। ट्रेफिक इंस्पेक्टर कैलाश यादव ने बताया कि ई-चालान से वाहन चालकों का समय और परेशानी दोनों बच जाते हैं।
ई-चालान रिपोर्ट : जनवरी से सितम्बर 2020जिला : चालान : डिस्पोस्ड : पेंडिग : रेवेन्यू : पेडिंग रेवेन्यू
1. सीकर- 19028 – 18989 – 39 – 3524850 – 125002. जयपुरग्रामीण- 18123 – 17535 – 588 – 3271900 – 226250
3. कोटा- 9555- 9420 – 135 – 3522950- 1572504. जोधपुर- 7304 – 7237- 67 – 929350 – 35000
5. अलवर- 6491 – 6122 – 369 – 1341796 – 2458006. अजमेर- 3436 – 3293 – 143 – 542800 – 44000
7. गंगानगर- 1537 – 1118 – 419 – 131500 – 576508. जयपुर- 1346 – 1319 – 27 – 179500 – 11950
9. उदयपुर- 1182 – 1182 – 0 – 146100 – 010. झुंझुनूं- 662 – 662 – 0 – 69800 – 0
11. हनुमानगढ़ – 439 – 68 – 371 – 15050 – 7610012. नागौर- 372 – 371 – 1 – 63900 – 100
13. चितौडगढ़ – 240 – 240 – 0 – 33100 – 014. बीकानेर- 148 – 147 – 1 – 14700 – 100
15. भरतपुर- 138 – 138 – 0 – 13800 – 016. धौलपुर- 63 – 59 – 4 – 28700 – 1700
17. भीलवाड़ा – 2 – 2 – 0 – 200 – 018. पाली – 1 – 1 – 0 – 100 – 0
19. सवाईमाधोपुर – 0 – 0 – 0 – 0 – 0
परफामेंस में भी बेहतर सीकरसीकर पुलिस की परफॉमेंस भी 1268 के साथ सबसे बेहतर रही है। कई जिलों को अधिक मशीनें दी गई। इसके बावजूद उनकी परफामेंस ठीक नहीं रही। रिपोर्ट के आधार पर जयपुर ग्रामीण की 453 और जयपुर की 269 के साथ ही कोटा पुलिस की 251 रही है। धौलपुर की 15.75, भरतपुर की 13.80, नागौर की 12.40 और बीकानेर पुलिस की 4.93 रही है। वहीं सवाईमाधोपुर, पाली व भीलवाड़ा पुलिस की परफॉमेंस शून्य रही है।

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