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कानूनों पर अडिग रहेगी सरकार, बिल वापस नहीं लेने के दिए संकेत

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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार छठे दिन जारी है. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान संगठनों ने डेरा जमाया हुआ है और सरकार से गुहार लगा रहे हैं. प्रदर्शन के बीच आज दोपहर तीन बजे किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत होनी है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सरकार का पक्ष रखेंगे और किसानों को मनाने की कोशिश करेंगे, ये बातचीत दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में होगी. पिछले 5-6 दिनों से सरकार कोशिश कर रही थी कि किसान सड़कों से हटें और बुराड़ी के एक ग्राउंड में आ जाएं. लेकिन किसानों ने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद बातचीत का रास्ता साफ हुआ. अब सरकार की ओर से राजनाथ सिंह किसानों से बात करेंगे.
राजनाथ सिंह की छवि किसान नेता की रही है और हर संगठनों में उनके प्रति एक सम्मान है, ऐसे मुश्किल समय में सरकार ने उनको ही मैदान में आगे किया है. राजनाथ के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य मंत्री भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहेंगे. सरकार की ओर से किसानों की शंकाएं दूर की जाएंगी, MSP पर भरोसा दिलवाया जाएगा. बीजेपी अपने शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से MSP-मंडी के मुद्दे पर भरोसा दिलवाएगी.
इसके अलावा सरकार स्पष्ट कर सकती है कि कानून वापस नहीं होंगे, लेकिन किसी कमेटी का गठन हो सकता है. बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि चर्चा सड़क पर नहीं हो सकती है, जब बात होगी तो हर विषय पर होगी. सरकार ने पहले भी किसानों से बात की है, फिर एक बार बिना किसी झिझक के मंथन होगा.
किन मांगों को लेकर अड़े हैं किसान
किसानों की ओर से लगातार कृषि कानून का विरोध किया जा रहा है. दो महीने पंजाब में प्रदर्शनों के बाद किसानों ने दिल्ली का कूच किया. सभी किसान संगठनों की एक ही मांग है कि MSP पर सरकार पुख्ता वादा करे और इसे कानून में शामिल करे. किसान संगठनों को डर है कि मंडी से बाहर आते ही MSP पर असर पड़ेगा और धीरे-धीरे ये खत्म हो जाएगी. इन्हीं शंकाओं के चलते किसान लिखित में सरकार से आश्वासन चाहते हैं और MSP को कानूनी रूप दिलवाने पर अड़े हैं.
ऐसा नहीं है कि किसान संगठनों और सरकार के बीच ये पहली बार बात हो रही है. अभी तक दो राउंड की बात हो चुकी है, इस दौरान जो संगठन चर्चा में शामिल हुए थे फिर से सरकार ने उन्हें ही न्योता दिया है. कृषि मंत्रालय द्वारा कुल 32 संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है. हालांकि, कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई है कि देश में 500 के करीब किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन चिन्हित को बुलाया गया है ऐसे में सभी को बुलाना जरूरी है.
किसानों की ओर से सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, मेरठ रोड, गाजियाबाद रोड समेत अन्य जगहों पर डेरा डाला गया है. किसान अपना बोरिया-बिस्तर लेकर डटे हुए हैं, धरना स्थल पर ही खाना बना रहे हैं. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के लोगों को ट्रैफिक को लेकर काफी मुश्किलें हो रही हैं. दिल्ली से गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद तक जाम ही जाम है. मेट्रो के कुछ रूट बंद किए गए हैं, जबकि कुछ पर चिन्हित वक्त के लिए ट्रेन चल रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन वाराणसी में अपने संबोधन के दौरान कृषि कानून पर खुलकर बात की थी. पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं. सरकार MSP-मंडी सिस्टम खत्म नहीं कर रही है, नए कानूनों से किसानों का फायदा होगा. दूसरी ओर विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए किसानों के साथ है. राहुल गांधी ने अपील की है कि सरकार को तुरंत किसानों से चर्चा कर मसले का हल निकालना चाहिए.
कनाडा के PM समेत कई विदेशी नेता भारतीय किसानों के समर्थन में आए
नरेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को भारत के बाहर भी कई नेताओं का समर्थन मिला है. यूके, कनाडा और अमेरिका के इन नेताओं ने किसानों का समर्थन किया है और प्रदर्शन से निपटने के तरीके को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की है. इन नेताओं में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का नाम प्रमुख है. उन्होंने कहा है, अगर मैं किसानों द्वारा प्रदर्शन के बारे में भारत से आ रही खबरों पर ध्यान देना शुरू नहीं करता तो बेपरवाह होता. स्थिति चिंताजनक है… शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा.
उन्होंने कहा है, हमने अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए कई जरियों से भारतीय अथॉरिटीज से संपर्क किया है. लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने किसानों को पीटे जाने का जिक्र करते हुए ट्वीट कर कहा है, मैं हमारे परिवार और दोस्तों सहित पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों के किसानों के साथ खड़ा हूं, जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं. लेबर पार्टी के ही सांसद जॉन मैकडॉनेल ने कहा है, मैं तनमनजीत सिंह धेसी से सहमत हूं. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस तरह का दमनकारी व्यवहार अस्वीकार्य है और भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है.
लेबर पार्टी की सांसद प्रीत कौर गिल ने ट्वीट कर कहा है, दिल्ली से चौंकाने वाले दृश्य. किसान शांतिपूर्वक विवादास्पद बिलों (अब कानून) का विरोध कर रहे हैं जो उनकी आजीविका को प्रभावित करेंगे. उन्हें चुप कराने के लिए वॉटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है. सैंट जॉन्स ईस्ट से सांसद जैक हैरिस ने ट्वीट कर कहा है, नए कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर भारत सरकार के दमन को देखकर हम हैरान हैं, इनसे (नए कानूनों से) उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी. भारत सरकार को वॉटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल करने के बजाय किसानों के साथ खुले तौर पर बातचीत करनी चाहिए.
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