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13 से शुरू होंगे श्राद्ध, शुभ कार्य टलेंगे

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सीकर. सोलह दिवसीय पितृपक्ष (श्राद्ध) 13 सितंबर से शुरू होगा और 28 सितम्बर शनिवार अमावस्या के दिन संपन्न होगा। इस अवधि में गंगा घाटों व घरों पर अपने पितरों को लोग जल देंगे। पितृपक्ष में पितरों की मृत्यु तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। इसमें देवताओं व मृतकों के नाम उच्चारण कर उसे जल दिया जाता है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि पितृपक्ष तर्पण 13 सितंबर शुक्रवार से प्रारंभ होंगे।मिश्रा ने बताया कि पितृपक्ष में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ब्रह्मपुराण में वर्णित है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमराज यमपुरी से पितरों को मुक्त कर देते हैं और वे अपनी संतानों तथा वंशजों से पिण्डदान के लिए पृथ्वी पर आते हैं। अमावस्या के दिन तक घर के द्वार पर ठहरते हैं।पूर्णिमा श्राद्ध 13 सितम्बर पूर्णिमा श्राद्ध 14 सितम्बर सुबह 10 बजे तक।प्रतिपदा श्राद्ध 15 सितंबर द्वितीया श्राद्ध 16 सितंबर तृतीया श्राद्ध 17 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध 18 सितंबर पंचमी श्राद्ध 19 सितंबर षष्ठी श्राद्ध 20 सितंबर सप्तमी श्राद्ध 21 सितंबर अष्टमी श्राद्ध 22 सितंबर नवमी श्राद्ध 23 सितंबर दशमी श्राद्ध 24 सितंबर एकादशी श्राद्ध 25 सितम्बरद्वादशी श्राद्ध 26 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 6 मिनट तक।त्रयोदशी श्राद्ध 26 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 7 मिनट बाद ।चतुर्दशी श्राद्ध 27 सितंबर अमावस्या श्राद्ध 28 सितंबर 13 से शुरू होंगे श्राद्ध, शुभ कार्य टलेंगेपितृपक्ष (श्राद्ध) 13 सितंबर से शुरू होगा और 28 सितम्बर शनिवार अमावस्या के दिन संपन्न होगा। इस अवधि में अपने पितरों को लोग जल देंगे। सीकर. सोलह दिवसीय पितृपक्ष (श्राद्ध) 13 सितंबर से शुरू होगा और 28 सितम्बर शनिवार अमावस्या के दिन संपन्न होगा। इस अवधि में गंगा घाटों व घरों पर अपने पितरों को लोग जल देंगे। पितृपक्ष में पितरों की मृत्यु तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। इसमें देवताओं व मृतकों के नाम उच्चारण कर उसे जल दिया जाता है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि पितृपक्ष तर्पण 13 सितंबर शुक्रवार से प्रारंभ होंगे।मिश्रा ने बताया कि पितृपक्ष में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ब्रह्मपुराण में वर्णित है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमराज यमपुरी से पितरों को मुक्त कर देते हैं और वे अपनी संतानों तथा वंशजों से पिण्डदान के लिए पृथ्वी पर आते हैं। अमावस्या के दिन तक घर के द्वार पर ठहरते हैं।पूर्णिमा श्राद्ध 13 सितम्बर पूर्णिमा श्राद्ध 14 सितम्बर सुबह 10 बजे तक।प्रतिपदा श्राद्ध 15 सितंबर द्वितीया श्राद्ध 16 सितंबर तृतीया श्राद्ध 17 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध 18 सितंबर पंचमी श्राद्ध 19 सितंबर षष्ठी श्राद्ध 20 सितंबर सप्तमी श्राद्ध 21 सितंबर अष्टमी श्राद्ध 22 सितंबर नवमी श्राद्ध 23 सितंबर दशमी श्राद्ध 24 सितंबर एकादशी श्राद्ध 25 सितम्बरद्वादशी श्राद्ध 26 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 6 मिनट तक।त्रयोदशी श्राद्ध 26 सितंबर को प्रात: 11 बजकर 7 मिनट बाद ।चतुर्दशी श्राद्ध 27 सितंबर अमावस्या श्राद्ध 28 सितंबर महर्षि दधीचि जयंती महोत्सव के दौरान सजी झांकियांसीकर. महर्षि दधीचि जयंती महोत्सव के तहत दधिमथी माता मंदिर में हो रही शिव पुराण की कथा के दौरान मंगलवार को झांकी सजाई गई। कथा में कथावाचक पं. परमेश्वरलाल गुुरुकृपा ने शिव महिमा का वर्णन किया। उन्होंने भक्तों को कथा का महत्व बताते हुए कहा कि शिव की कथा व्यथा को दूर करती है। इस मौके पर बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रदधालु मौजूद थे। आयोजन समिति के कमल डोलिया ने बताया कि महोत्सव के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही है। जयंती का मुख्य समारोह छह सितम्बर को होगा। इस दौरान कई तरह के कार्यक्रम होंगे।

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