ममत्व की जननी है वो,सतीत्व की रक्षिका है वोसपनों का साया है वो,वह अपनों की माया है वो,बड़ों का सम्मान है वो,स्वयं का अभिमान है वो,
ममत्व की जननी है वो,सतीत्व की रक्षिका है वोसपनों का साया है वो,वह अपनों की माया है वो,बड़ों का सम्मान है वो,स्वयं का अभिमान है वो,बच्चों का संसार है वो,औरत का श्रृंगार है वो,सपनों का साकार रूप है वोनभ में अनगिनत तारों की भांति,ह्रदय में सलामत रखती हुई अपनों की ‘दुआ’ है वोवो नारी है, वो नारीत्व है,नमन है, वंदन है पूज्यनीय है पूज्या है!छोटो का आदर्श है बड़ों का अभिमान है वो,खुद का विश्वास है वो, बच्चों का प्यार है वो,वो नारी है, वो नारीत्व है, वो सारी शक्ति हैजो सृजन है सृष्टि की, नारी शक्ति है वोनारी है वो..!
रचना: कंचन सोनी, सीकर