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राजस्थान में कम हुआ स्कूल बैग का बोझ, जल्द लागू होगा नवाचार

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अजय शर्मासीकर. प्रदेश के कक्षा एक से पांचवी के 25 लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिए राहतभरी खबर है। सरकार की दो साल की कवायद के बाद अब बच्चों के बस्ते का बोझ कम हो सकेगा। प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद पहली बार कक्षा एक से पांचवी की किताबों को तीन भागों में बांटा गया है। इससे अब स्कूल खुलने पर विद्यार्थियों को बस्ते में सभी किताब ले जाने के बजाय केवल एक ही पुस्तक ले जानी होगी, जिसमें सभी विषय शामिल होंगे। पहले अमूमन कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के बस्ते का बोझ साढ़े पांच से छह किलो तक था। सरकार के इस नवाचार के बाद बस्ते का बजन महज दो किलोग्राम ही रह जाएगा। इस साल विद्यार्थियों को मिलने वाली निशुल्क पाठ्य पुस्तकों में यह नवाचार देखने को मिलेगा। इसके लिए शिक्षा विभाग की तैयारी पूरी हो चुकी है।वर्ष 2019 में शुरू हुआ था नवाचारस्कूलों विद्यार्थियों के बस्ते के बोझ को कम करने के लिए सरकार ने वर्ष 2019 में कवायद शुरू की थी। इसके तहत चार सितम्बर 2019 को शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कक्षा एक से तीन के विद्यार्थियों के लिए जयपुर जिले में पायलट प्रोजेक्ट पर योजना शुरू की थी। यह प्रयोग सफल होने पर अब पूरे प्रदेश में लागू किया गया है। वर्ष 2020 में सरकार ने आधे राजस्थान में यह योजना लागू की थी। इस साल से यह योजना पूरे प्रदेश में लागू हो सकेगी।केन्द्रीय स्कूल भी ऐसा नहीं कर सकी नवाचारकेन्द्रीय स्कूलों की ओर से भी बस्ते का बोझ कम करने के लिए अब तक पांच बार समिति बनाई जा चुकी है। लेकिन अभी तक बस्ते का बोझ कम नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग का दावा है कि मानव संसाधन मंत्रालय की गाइडलाइन के हिसाब से बस्ते का बोझ कम करने वाले राज्यों की सूची में राजस्थान का नाम सबसे पहले शामिल हुआ है।ऐसे समझें सरकार के नवाचार कोपहले: दिसम्बर में पढ़ाया जाना था पाठ, बच्चा जुलाई से ले जाने लग जाता पुस्तकेंपहले विद्यार्थियों को बस्ते में सभी विषयों की सभी पुस्तक ले जानी होती थी। जैसे सामाजिक विज्ञान के पाठ संख्या दस को शिक्षक दिसम्बर में पढ़ाएगा लेकिन किताब एक ही होने की वजह से उसको जुलाई से ही ले जानी होती थी। यही व्यवस्था अन्य विषयों पर भी लागू थी।अब यह हुआ:राजस्थान राज्य शिक्षक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर की ओर से विषयवार सामग्री को तीन भागों में बांटा गया है। हर भाग में प्रत्येक विषय के कुल पाठ्यक्रम के एक तिहाई पाठों को हर भाग की पुस्तक में शामिल किया गया है। इससे विद्यार्थियों को एक ही पुस्तक में सभी विषय की शिक्षण सामग्री मिल सकेगी।कक्षा एक व दो:कक्षा एक व दो के बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी व गणित की पहली पुस्तक आओ सीखे भाग एक में तीनों विषय के एक तिहाई भाग की शिक्षण सामग्री शामिल की है। इसी तरह दूसरी पुस्तक आओ सीखे भाग दो अगले एक तिहाई भाग को और तीसरी पुस्तक आओ सीखे भाग तीन में शेक्ष अध्ययन सामग्री को शामिल किया गया है।कक्षा तीन से पांच:कक्षा तीन से पांचवीं कक्षा तक चार विषय हिन्दी, अंग्रेजी, गणित तथा पर्यावरण अध्ययन की पहले, दूसरे तथा तीसरे भाग के लिए एक पुस्तक में ही सभी चारों विषय शामिल किए गए है। पहले भाग का पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद दूसरे भाग की पुस्तक तथा यह भाग पूरा होने पर अंतिम भाग की पुस्तक विद्यार्थियों को स्कूल लेकर आनी होगी।आदेश फाइलों में दबे थे, हमने समझा मासूमों का दर्द: शिक्षा मंत्रीहर साल मानव संसाधन मंत्रालय के बस्ते के बोझ को कम करने के लिए आदेश आते थे। कमेटी बनते ही आदेश फाइलों में दब जाते थे। लेकिन हमारी सरकार ने मासूम बच्चों की पीड़ा को समझा और पहली बार बस्ते का बोझ करने में हम सफल हुए है। इस तरह का नवाचार करने वाले राज्यों में राजस्थान अग्रिम पक्ति में है।गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्रीदो वर्ष के बाद मिली सफलताइस सत्र से पूरे राजस्थान में हम बस्ते का बोझ कम करने में सफल होंगे। कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए यह कवायद हुई है। शिक्षा विभाग ने लगभग एक तिहाई बस्ते का बजन कम कर दिया है। इससे बच्चों को अब बैग लेकर जाने में काफी राहत मिलेगी।सौरभ स्वामी, शिक्षा निदेशक

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