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संघ प्रमुख ने इशारों में साधा निशाना

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को इशारों-इशारों में कांग्रेस समेत उन लोगों पर हमला बोला जो सावरकर को बदनाम कर रहे हैं. संघ प्रमुख ने कहा, वीर सावरकर को लेकर आज के भारत में जानकारी का अभाव है, सावरकर को बदनाम करने की कोशिश की गई है. स्वतंत्रता के बाद से ही वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली है.
मोहन भागवत ने कहा, इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर लगेगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे. अशफाक उल्लाह खान जैसों का नाम गूंजने चाहिए भागवत ने कहा कि सैयद अहमद को मुस्लिम असंतोष का जनक कहा जाता है.
संघ प्रमुख ने कहा, इतिहास में जब दाराशिकोह हुए, अकबर हुए तो उसके बाद औरंगजेब भी हुआ जिसने चक्का उल्टा घुमाया. जब माहुरकर जी कहते हैं कि उनका नाम नहीं होना चाहिए, दाराशिकोह का होना चाहिए तो मैं माहुरकर जी का सौ प्रतिशत समर्थन करता हूं. हमारे यहां हाकिम खां सूरी भी हुए, इब्राहिम खां गारदी भी हो गए, हसन खां मेवाती भी हो गए.
भागवत ने कहा सेना के वीरों में सबके नाम हैं. अशफाकउल्लाह खां जैसे क्रांतिकारी हो गए. उनसे पूछा गया एकबार कि आपकी इच्छा क्या होगी मरते वक्त तो उन्होंने कहा कि मैं मुसलमान हूं, मैं पुनर्जन्म में यकीन नहीं करता हूं. मेरे परम मित्र राम प्रसाद बिस्मिल हैं, वह विश्वास करते हैं. अगर उनकी बात सही है तो खुदा मुझसे जरूर पूछेगा कि अगला जन्म कहां लेना है.
उन्होंने कहा, भारतीय भाषा की परंपरा के अर्थ में धर्म का अर्थ जोड़ने वाला है, उठाने वाला है, बिखरने ना देने वाला है. साधारण शब्दों में समझा जाए तो भारतीय धर्म मानवता है. जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के ही साथ जुड़ी है. विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान में गए मुसलमानों की प्रतिष्ठा पड़ोसी देश में भी नहीं है.
भागवत ने कहा, जो भारत का है, वो भारत का ही है. इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थिति को देखते हैं तो ध्यान में आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता.
कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए. राजनाथ सिंह ने कहा- वीर सावरकर जी महान स्वतंत्रता सेनानी थे इसमें कहीं दोमत नहीं हैं. किसी भी विचारधारा के चश्मे से देखकर राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को अनदेखा करना, अपमानित करना ऐसा काम है जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता.
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