बीजेपी पिछले 7 साल से लगातार चुनावी जीत दर्ज करती जा रही है. 2 लोकसभा चुनाव जीत चुकी है और अधिकतर राज्यों में बीजेपी की सरकार है. हालांकि कई विधानसभा चुनाव बीजेपी हारी भी है, इसके बावजूद लोगों के मन में हमेशा यह रहता है कि बीजेपी चुनाव जीत जाएगी.
कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अगर अपने प्रदेश स्तर के नेताओं से मिलता भी है या प्रदेश स्तर के नेता अपने शीर्ष नेतृत्व से मिलने दिल्ली भी चले जाते हैं तो मीडिया इसे खूब हाईलाइट करता है और कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान के तौर पर इसे प्रचारित करता है. लेकिन बीजेपी पिछले कुछ महीनों में अपने कई मुख्यमंत्रियों को बदल चुकी है जनता की नाराजगी और आपसी गुटबाजी को देखते हुए, लेकिन मीडिया में इसको लेकर कोई डिबेट नहीं है.
बीजेपी के अंदर कई समस्याएं हैं. बीजेपी के ही नेताओं की सुनी नहीं जा रही है. बीजेपी के गुजरात के कद्दावर नेता नितिन पटेल आज मीडिया के सामने रोते हुए नजर आए. लेकिन मीडिया में इसको लेकर कोई डिबेट नहीं है. बीजेपी लगातार चुनावी जीत को अंजाम देती जा रही है, हालांकि बंगाल में एड़ी चोटी का जोर लगाने के बावजूद बीजेपी हार गई. लेकिन बिहार में गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब रही और उत्तर प्रदेश में भी उसे जीत की उम्मीद है.
बीजेपी कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार नाकामियों के पहाड़ पर खड़ी है. जनता त्रस्त है. बेरोजगारी पिछले कई दशक का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है, महंगाई आसमान छू रही है, कानून व्यवस्था ध्वस्त है, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. देश के अंदर भाईचारा खतरे में है, धर्मों को आपस में लड़ाने की कोशिश हो रही है. इसके बावजूद बीजेपी हमेशा चुनावी जीत को लेकर निश्चिंत रहती है. बीजेपी को उम्मीद रहती है कि जनता तमाम परेशानियों के बावजूद उसे वोट जरूर देगी.
इसी को लेकर रिटायर्ड आईपीएस N. C. अस्थाना (Retired IPS N. C. Asthana) ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि, जनता के मन में यह बिठा दिया गया है कि पेट्रोल-गैस मंहगे हैं तो क्या, बेरोजगारी है तो क्या, 370 तो हटा, मंदिर तो बना, CAA तो आया, श्रीनगर में गणपतयार मंदिर में गणेश चतुर्थी की पूजा तो हुई. अब हमें वोट न दोगे तो बहुसंख्यक खतरे में आ जायेंगे. जीतने को और क्या चाहिये, बाकी सब बेमतलब.
जनता के मन में यह बिठा दिया गया है कि पेट्रोल-गैस मंहगे हैं तो क्या, बेरोजगारी है तो क्या, 370 तो हटा, मंदिर तो बना, CAA तो आया, श्रीनगर में गणपतयार मंदिर में गणेश चतुर्थी की पूजा तो हुई। अब हमें वोट न दोगे तो बहुसंख्यक खतरे में आ जायेंगे। जीतने को और क्या चाहिये, बाकी सब बेमतलब।
— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) September 13, 2021
आपको बता दें कि बीजेपी के बड़े से बड़े नेता और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 से पहले की चुनावी रैलियों को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद कभी पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बात करने से बचते रहे. आज पेट्रोल और डीजल की कीमतें जनता को बेहाल किए हुए हैं. रोजगार के मुद्दों पर कोई बात नहीं कर रहा है. भारत सरकार की रीढ़ रेलवे को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है लेकिन जनता को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.
निर्भया के मामले पर हर चौराहे पर मोमबत्ती जलाने वाली जनता आज हो रहे बेटियों के साथ अपराध के मुद्दे पर खामोश है. जनता की खामोशी बीजेपी की जीत में मुख्य भूमिका निभा रही है. जनता अपने ही मुद्दों पर खामोश नजर आ रही है और बीजेपी के नेता पाकिस्तान, तालिबान, अफ़गानिस्तान, हिंदू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद करके जनता का वोट लेने में कामयाब हो जा रहे हैं.
इसके बाद विपक्षी पार्टियों को मुसलमानों का समर्थक और आतंकवादियों का समर्थक बीजेपी के नेताओं की तरफ से बता दिया जा रहा है और जनता बीजेपी को चुन रही है. बीजेपी अच्छे से समझ चुकी है कि जनता अपने ही मुद्दों पर चुप है, जनता को जनता के मुद्दों से दूर करके धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, मंदिर-मस्जिद और कश्मीर, पाकिस्तान के मुद्दे पर गुमराह करके वोट लिया जा सकता है.
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