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RBI ने जारी की रिपोर्ट, उपभोक्ता का भरोसा मोदी सरकार में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

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देश को आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. इसी बीच आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी की गई मौद्रिक नीति की रिपोर्ट में बताया गया है कि, मोदी सरकार में उपभोक्ता का भरोसा सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है. इस खबर से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ना तय है. आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2019 में वर्तमान स्थिति सूचकांक 89.4 तक पहुंच गया है, जो मोदी कार्यकाल में अब तक सबसे कम है.

मोदी सरकार देश की बेरोजगारी और बदहाल हो चुके आर्थिक हालात को लगातार मानने से इंकार करती आई है. देखना यह होगा कि मोदी सरकार आरबीआई की इस रिपोर्ट को मानती है या नहीं.

इसी हफ्ते यह खबर भी आई थी कि, सितंबर के जीएसटी कलेक्शन के आंकड़ों में भारी गिरावट आई है और यह अपने पिछले 19 महीने में सबसे बड़ी गिरावट है. इसके पहले यह भी खबर आ चुकी है कि, अगस्त महीने में आठ कोर सेक्टर की विकास दर में भी भारी गिरावट दर्ज की गई थी. इससे अधिक चिंता बढ़ाने वाली बात यह है कि, 5 कोर सेक्टर में नेगेटिव ग्रोथ हुई है. जिन 5 कोर सेक्टर में नेगेटिव ग्रोथ हुई है वह क्षेत्र है : कच्चा तेल, बिजली, प्राकृतिक गैस, कोयला और सीमेंट.

इन तमाम आंकड़ों से यह साफ है कि, अर्थव्यवस्था मंदी की ओर तेजी से बढ़ रही है, बताए गए 8 कोर सेक्टर की देश के कुल औद्योगिक उत्पाद में लगभग 40 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रहती है.

आरबीआई की रिपोर्ट जिस आधार पर, आरबीआई ने जारी की है उसमें उपभोक्ता विश्वास सर्वे के अनुसार देश के बड़े शहरों के लगभग 5000 उपभोक्ताओं की राय ली गई है. इस सर्वेक्षण में 5 आर्थिक मुद्दों पर उपभोक्ताओं की सोच या धारणा को जानने की कोशिश की जाती है. यह है आर्थिक हालात, रोजगार, आमदनी और खर्च, मूल्य स्तर.

आरबीआई का सर्वे यह साफ बता रहा है कि,मौजूदा हालात और भविष्य दोनों को ही लेकर उपभोक्ताओं में भारी असंतोष है और उपभोक्ताओं को सरकार से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि उपभोक्ता विश्वास का सूचकांक जब 100 से ऊपर होता है तब उपभोक्ता आशावादी होते हैं और 100 से नीचे होने पर निराशावादी.

उपभोक्ताओं का मोदी सरकार से विश्वास गिरना और वह भी इतने लंबे समय तक, यह बेहद भयावह संकेत है. केंद्र सरकार को आरबीआई की इस रिपोर्ट के आने के बाद ऐसे ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जिससे यह निराशा का माहौल समाप्त हो, क्योंकि पिछले बहुत समय से हर क्षेत्र में स्थिति खराब है. चाहे वह ऑटो इंडस्ट्री हो या फिर कोई दूसरी इंडस्ट्री हर क्षेत्र में कंपनियों के उत्पादन में कमी आई है. लोगों की नौकरियों का जाना, जीडीपी का 5 फ़ीसदी दर पर पहुंचना, यह साफ संकेत दे रहा है कि, अर्थव्यवस्था की हालत डावाडोल है और अर्थव्यवस्था पूरी तरीके से जमीनोंजद हो चुकी है.

इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी कह चुके हैं कि पिछले 70 सालों में उन्होंने नगदी का ऐसा भयावह संकट पहले कभी नहीं देखा. देशभर के बड़े-बड़े उद्योगपति स्वीकार कर चुके हैं कि, आर्थिक मोर्चे पर हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं, लेकिन लगता है कि सरकार की ओर से उठाए गए तमाम कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं.

यह भी पढ़े : शिवसेना आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर भाजपा का विरोध करके भाजपा के साथ मिलकर जनता को मूर्ख बना रही है.

Thought of Nation राष्ट्र के विचार
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